नई दिल्ली: केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने 27 नवंबर से 1 दिसंबर 2017 तक चीन के बीजिंग में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए एशिया और प्रशांत दशक, 2013-2022 की उच्चस्तरीय अंतः सरकारी मध्य समीक्षा बैठक में शामिल होने के लिए देश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस प्रतिनिधिमंडल में विभाग के सचिव के साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। इस बैठक का आयोजन चीन सरकार के साथ मिलकर एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) कर रही है।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य एशिया और प्रशांत क्षेत्र में दिव्यांगजनों के लिए कार्य सही दिशा में चल रहा है या नहीं तथा साथ ही आगे के लिए रणनीति बनाने हेतु इस दशकीय परियोजना के मध्य 2017 में सदस्य देशों द्वारा की गई प्रगति की समीक्षा करना भी है। दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में उल्लिखित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनाई गई रणनीति के बारे में चर्चा करना है। इस बैठक का अन्य उद्देश्य इस क्षेत्र में दिव्यांगजनों के सतत विकास के लिए भविष्य की रणनीति तथा 2030 के एजेंडे पर चर्चा करना भी है।
केन्द्रीय मंत्री ने भारत की तरफ से इस मध्य समीक्षा बैठक में अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत विविधता में एकता के सिद्धांत और दिव्यांगजनों सहित समाज के सभी वर्गों के समावेशी समेकित विकास के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने भारतीय संविधान के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में इसके तहत सभी व्यक्तियों को स्वतंत्रता, न्याय और समानता की का अधिकार है। उन्होंने उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के प्रावधानों के अनुसार एक नया कानून ‘दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016’ के अनुसार अधिनियमित किया है। यह नया कानून इन्हें कई अधिकार और पात्रताओं जैसे कि समानता और गैर-भेदभाव, सामुदायिक जीवन, हिंसा और अमानवीय व्यवहार से सुरक्षा, न्याय, घर और परिवार और प्रजनन अधिकारों का उपयोग की गारंटी देता है। यह प्रांतीय सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए कि दिव्यांगजन अन्य व्यक्तियों के समान अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें, उपयुक्त कदम उठाने के लिए अधिदेशित करता है। कथित कानून के तहत उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण सकारात्मक कदमों में सरकारी सहायता प्राप्त उच्च शैक्षणिक संस्थानों में 4 प्रतिशत आरक्षण एवं गरीबी उन्मूलन योजनाओं में 5 प्रतिशत आरक्षण और आवास के लिए भूमि का आवंटन, सस्ती ब्याज दर पर व्यवसाय की स्थापना आदि कदम शामिल हैं।
श्री गहलोत ने यह भी जिक्र किया कि प्रधानमंत्री ने विकलांग व्यक्तियों को संबोधित करने के लिए “दिव्यांगजन” अर्थात् “दिव्य क्षमताओं वाले व्यक्तिय” शब्द गढ़ा है। उन्होंने सुगम्य भारत अभियान का भी जिक्र किया जो दिव्यांगजनों के लिए बाधा रहित माहौल का निर्माण करने की एक प्रमुख योजना है। सरकार एक निश्चित समय सीमा के भीतर इसके लक्ष्य को अर्जित करने के लिए राज्यों के साथ इस कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही है।
श्री गहलोत ने कहा कि वह बीजिंग घोषणापत्र को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद कर रहे हैं जो दिव्यांगजनों के के लिए सशक्तिकरण एवं समावेशन अर्जित करने हेतु बेहतर कार्यान्वयन का रास्ता प्रशस्त करेगा।