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श्री प्रकाश जावडेकर ने प्रत्ययन के लिए संशोधित रूपरेखा पर राष्ट्रीय विमर्श का उद्घाटन किया

श्री प्रकाश जावडेकर ने प्रत्ययन के लिए संशोधित रूपरेखा पर राष्ट्रीय विमर्श का उद्घाटन किया
देश-विदेश

नई दिल्लीः केन्द्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने नई दिल्ली में एक दिवसीय प्रत्ययन के लिए संशोधित रूपरेखा पर राष्ट्रीय विमर्श का उद्घाटन किया। गुणवत्ता परक शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी मान्यता प्राप्त प्रक्रिया या मूल्याकंन प्रक्रिया के दौरान अंतिम उत्पाद को ध्यान में रखा जाना चाहिए। विषय के बारे में ज्ञान होना एक बात है, एक छात्र को विषय के बारे में जानकारी, बुनियादी ढांचे और कौशल विकास के बारे जानकारी देना दूसरी बात है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य एक अच्छे नागरिक का निर्माण करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल उसी प्रकार  की शिक्षा को रचनात्मक शिक्षा के रूप में वर्णित किया जा सकता है जिसमें लक्ष्य, नीति और योजना के मापदंड प्रतिबंबित होते हैं।

श्री जावडेकर ने इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पांडे की सराहना की और शिक्षा के बारे में समग्रता से सोचने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि संस्थानो की रैंकिंग में शिक्षा प्रतिबिंबित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि  किसी भी संस्थान द्वारा दी जाने वाली शिक्षा गुणवत्ता परक होनी चाहिए।

             मंत्री महोदय ने एनएएसी की  रैंकिंग उसके प्रमाण पत्र और उसके मूल्याकंन पत्र का हवाला देते हुए कहा कि इसके आधार पर छात्र आगे की शिक्षा के लिए संस्थानों का चयन करते हैं।  उऩ्होंने कहा कि अब संस्थानों ने एनआईआरएफ रैंकिंग को भी अपने रैंकिंग कैप में शामिल किया है। मंत्री महोदय ने कहा कि अब छात्रों के साथ-साथ समाज को भी गुणवत्ता के मामले में गुमराह नहीं किया जा सकता। उऩ्होंने कहा कि गुणवत्ता का कोई विकल्प नहीं है और इसमें अधिक तेजी लानी चाहिए। श्री जावडेकर ने कहा कि हमारी सरकार के पास न केवल बहुमत है बल्कि हम यहां सुधार और प्रदर्शन करने के लिए आए हुए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा में बदलाव की सख्त जरूरत है। उन्होंने एनएएसी अधिकारियों को सलाह दी कि वह अपनी टीम का विस्तार करें और अधिक से अधिक संस्थानों तक अपनी पहुंच बनाएं। उन्होंने डाटा बेस की प्रमाणिता और सत्यता को सुनिश्चित करने के लिए इस बात पर जोर दिया कि एकत्रित आंकडों की जांच होनी चाहिए।

 मंत्री महोदय ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए बनाई गयी व्यवस्था को स्पष्ट नियमों और कानूनों के साथ पारदर्शी होना चाहिए तथा घपलेबाजी की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। उऩ्होंने उम्मीद व्यक्त की कि आज की चर्चा से एक नई पारदर्शी मान्यता प्रणाली का मार्ग प्रशस्त होगा। श्री जावडेकर ने आधार का प्रयोग करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे एलपीजी वितरण, यूरिया वितरण में हो रही गड़बड़ी को रोकने में मदद मिली है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि झारखंड तथा आंध्र प्रदेश में मध्याह्न भोजन योजना के आधार योजना के जुड़ जाने के बाद 4.5 लाख फर्जी पंजीकरणों का पता चला। उन्होंने कहा कि अभी तक 112 करोड़ आधार कार्ड बनाये जा चुके हैं जो हमारे देश के बदलते और आगे बढ़ने का एक स्पष्ट प्रमाण है।

मंत्री महोदय ने सुझाव दिया कि उच्च शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग जारी करने के लिए 4-5 एजेंसियां होनी चाहिए इससे विश्वसनीयता में और बढ़ोतरी होगी। मंत्री महोदय ने कहा कि इस महीने28 अप्रैल को होनी वाली आईआईटी काउंसिल की अगली बैठक में हम देखेंगे कि क्या आईआईटी भी अन्य संस्थानों को मान्यता दे सकता है। श्री जावड़ेकर ने कहा,  ‘यदि हम समयबद्ध तरीके से पहुंचना चाहते हैं तथा उनका सही मूल्यांकन करना चाहते हैं तो हमें इसके लिए और अधिक जिम्मेदार बनना होगा इसलिए हम कम से कम तीन चार और संस्थानों का निर्माण करना चाहते हैं। हमे इस संबंध में संस्थानों को एक संदेश देना चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा कि केंद्र की मोदी सरकार गुणवत्ता परक शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि इसी से देश आगे बढ़ सकता है।  उन्होंने कहा कि आज रैंकिंग की नई मूल्यांकन प्रणाली बहुत महत्वपूर्ण है। मंत्री महोदय ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि इस प्रक्रिया को तीन महीनों के अंदर पूरी कर लें।

             इस बैठक को मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री महेन्द्र नाथ पांडे और उच्च शिक्षा सचिव श्री के.के शर्मा द्वारा भी संबोधित किया गया।

हाल ही में एनएएसी द्वारा विकसित किये गये संशोधित प्रत्यायन ढांचे पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया जा रहा है। संशोधित रूप रेखा में तकनीक के प्रयोग और प्रक्रिया की निष्पक्षता शामिल हैं। विशेषज्ञों के कार्य समूहों द्वारा विश्वविद्यालयो, स्वायत्त महाविद्यालयों तथा संबंधित महाविद्यालयों के लिए ढांचा तैयार एवं विकसित किया जा रहा है। प्रख्यात शिक्षा विधेयक,वर्तमान और कुलपति/निदेशकों, वैधानिक निकायों, शिक्षाविदों विश्वविद्यालय के प्राचार्यों सहित लगभग सौ विशेषज्ञ राष्ट्रीय विमर्श में भाग लेंगे। राष्ट्रीय विमर्श से प्राप्त होने वाले विचारों का इस्तेमाल प्रत्ययन के लिए संशोधित रूपरेखा को तय करने में किया जाएगा, जिसे जुलाई 2017 में लांच किया जाना है।

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