नई दिल्ली: मीडिया के एक वर्ग में आज कुछ रिपोर्ट छपी हैं जिनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्ययन को उल्लेखित करते हुए 2016 तक वायु प्रदूषण की समस्या को रेखांकित किया गया है और अनुमान लगाया गया है कि विश्व के 14 सर्वाधिक प्रदूषित नगर भारत में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि 143 सूक्ष्म ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के कारण वार्षिक औसत सूक्ष्म कण (पीएम) के 2.5 संकेंद्रन के साथ दिल्ली 2016 में सर्वाधिक प्रदूषित नगरों में छठे स्थान पर है। बहरहाल, सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने की दिशा में गंभीर प्रयास किए हैं। पीएम 2.5 के लिए वर्ष 2017 का डाटा प्रदर्शित करता है कि 2016 में इसमें सुधार दर्ज किया गया है और अभी तक 2018 में, 2017 की तुलना में इसमें सुधार प्रदर्शित हुआ है। सरकार ने बीएस-4 से बीएस-6 में छलांग लगाने समेत कई निर्भीक कदम उठाए हैं।
वायु प्रदूषण के संदर्भ में, कांटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मोनीटरिंग स्टेशनों ( सीएएक्यूएमएस) पर आधारित सीपीसीबी डाटा से संकेत मिलता है कि वर्ष 2016 की तुलना में 2017 एवं अभी तक 2018 में भी वायु प्रदूषण में सुधार देखा गया है। दिल्ली में पार्टिकुलेट मैटर संकेद्रन में सुधार नवंबर 2016 एवं नवंबर 2017 के दो लगातार वर्षों में लगातार पड़ोसी राज्यों में पराली को जलाए जाने एवं खाड़ी देशों से धूल आने जैसी घटनाओं के बावजूद देखा गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी इस मामले में कई कदम उठाए हैं। इसके अतिरिक्त, सीपीसीबी द्वारा भी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के निर्माण समेत दिल्ली एवं एनसीआर में इससे संबंधित कई उल्लेखनीय कदम उठाए गए हैं।