नई दिल्ली: सरकार विदेशी निर्माताओं पर निर्भरता को कम करने और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को विकसित करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। यह बात आज रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे ने भारतीय वायुसेना (आईएएफ) भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक सम्मेलन के दौरान कही।
डॉ. भामरे ने कहा, ‘हमने एक नई खरीद श्रेणी को शामिल किया है जिसका नाम बाई इंडियन-आईडीडीएम (स्वदेशी डिजाइन, विकसित की गई और निर्मित) है, यह खरीद के लिए सबसे पसंदीदा श्रेणी होगी और यह देश में निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने में सहायक होगी तथा इससे रक्षा अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण निवेश आयेगा।’
रक्षा उद्योग के साथ भागीदारी पर बोलते हुए डॉ. भामरे ने बताया, ‘‘भारत सरकार एक लंबी अवधि के लिए निजी उद्योग व क्षमता तैयार करने के लिए ‘सामरिक साझेदारी’ मॉडल तैयार करने की दिशा में कार्य कर रही है।’’ सरकार ने सामरिक भागीदारों का चयन करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया था जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने मानदंडों का निर्धारण करने के लिए अपनी सुझाव दिये। टास्क फोर्स द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट की सरकार ने जांच की है और जल्द ही सामरिक भागीदारों का चयन करने के लिए नीति जारी की जायेगी।
उद्योग जगत की चिंताओं पर मंत्री महोदय ने कहा कि भारतीय निजी क्षेत्र के लिए विनिमय दर को सुरक्षा के साथ लागू किया गया है। उत्पादक शुल्क और कस्टम शुल्क में बीपीएसयू को मिलने वाले छूट को समाप्त कर दिया गया है। संशोधित नीति के अनुसार, सभी भारतीय उद्योगों (निजी और सार्वजनिक) के लिए एक ही प्रकार की नीति और उत्पाद शुल्क रहेंगे। इससे निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच समान अवसर सुनिश्चित होंगे। सरकार द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए एक और कदम उठाया गया है।
इस अवसर पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोवा ने भी संबोधित किया। इनके अलावा सीआईआई राष्ट्रीय रक्षा कमेटी के सदस्य श्री प्रत्यूष कुमार तथा रक्षा मंत्रालय एवं भारतीय वायु सेना के अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।