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स्‍वच्‍छता को मानव स्‍वभाव का हिस्‍सा बनाने की जरूरत: उमा भारती

स्‍वच्‍छता को मानव स्‍वभाव का हिस्‍सा बनाने की जरूरत: उमा भारती
देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि स्‍वच्‍छता को मानव स्‍वभाव का हिस्‍सा बनाने की जरूरत है और यदि ऐसा होता है तो वह दिन दूर नहीं होगा जब पूरा देश स्‍वच्‍छ नजर आने लगेगा।

सुश्री भारती ने आज नई दिल्‍ली में स्‍वच्‍छता पखवाडे के दौरान जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा पूरे देश में किये गए कार्यों की पुस्तिका को जारी करते हुए कहा कि जब तक देश के नागरिकों की मूल प्रकृति में स्‍वच्‍छता एक संस्‍कार के रूप में विकसित नहीं होगी तब तक पूर्ण स्‍वच्‍छता का लक्ष्‍य प्राप्‍त नहीं किया जा सकेगा। उन्‍होंने कहा कि विश्‍व के जो भी देश स्‍वच्‍छ हैं, वहां के नागरिक स्‍वच्‍छता के प्रति विशेष सजक होते हैं। यदि देश के 125 करोड़ लोग यह तय कर लेंगे कि देश को स्‍वच्‍छ बनाना है तो देश पूरी तरह साफ सुथरा नजर आएगा।

सुश्री भारती ने कहा कि महात्‍मा गांधी भी देश के स्‍वच्‍छ होने का सपना देखने थे और देश के प्रधानमंत्री आज उसी सपने को मूर्त रूप देने में जुटे हैं। इस अवसर पर उन्‍होंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने स्‍वच्‍छता को एक मुहिम के रूप में लिया है और देश के ना‍गरिक इस मुहिम के साथ जुड रहे हैं।

उल्‍लेखनीय है कि 16 मार्च को सुश्री भारती ने स्‍वच्‍छता पखवाडे का शुभारंभ किया था, जो 31 मार्च तक चला था। इस स्‍वच्‍छता पखवाडे के दौरान

राजस्‍थान, पंजाब, तमिलनाडु, उत्‍तराखंड, पश्चिमबंगाल, मध्‍यप्रदेश,छत्‍तीसगढ, उत्‍तरप्रदेश, महाराष्‍ट्र, बिहार, उडीसा, पंजाब, असम, मणिपुर, केरल और झारखंड के 200 जलाशयों एवं उनके आसपास क स्‍थानों पर स्‍वच्‍छता एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये गए। इन कार्यक्रमों में स्‍थानीय नागरिकों, स्‍वयंसेवी संगठनों, औदयोगिक समूहों एवं स्‍थानीय संगठनों का सहयोग लिया गया। ये कार्यक्रम मंत्रालय की विभिन्‍न ईकाइयों एवं उपक्रम यथा राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन, केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय भू-जल बोर्ड तथा वेपकॉस समेत मंत्रालय के अन्‍य विभागों की ओर से आयोजित किये गए।

इस अवसर पर केंद्रीय पेयजल और स्‍वच्‍छता मंत्रालय के सचिव श्री परमेश्‍वरम अय्यर और जल संसाधन मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

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