Online Latest News Hindi News , Bollywood News

अंतरिक्ष कार्यों में प्रयोग होने वाली लिथियम. ऑयन बैटरियों के उत्‍पादन के लिए इसरो और भेल के बीच करार

देश-विदेशप्रौद्योगिकी

नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्‍थान (इसरो) ने अंतरिक्ष कार्यों में प्रयोग होने वाली लिथियम-ऑयन बैटरियों के उत्‍पादन के लिए भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्‍स लिमिटेड (भेल),  के साथ प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण का करार किया है। इस करार पर कल इसरो के बेंगलुरू स्थित मुख्‍यालय में इसरो अध्‍यक्ष डॉक्‍टर के. सिवन तथा भेल के अध्‍यक्ष सह प्रबंध निदेशक श्री अतुल सोबती की उपस्थिति में हस्‍ताक्षर किए गए।

इसरो की ओर से ली-ऑयन बैटरियों का उपयोग उनके अत्‍याधिक ऊर्जा घनत्व, विश्वसनीयता और लंबी अवधि तक चलने के गुणों कारण उपग्रह और अंतरिक्ष यानों के प्रक्षेपण के लिए ऊर्जा स्रोतों के रूप में किया जाता है। इसरो के तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्‍द्र (वीएसएससी) ने अंतरिक्ष संबंधी कार्यों में इस्‍तेमाल होने वाली ली-ऑयन बैटरियों का निर्माण करने की प्रौद्योगिकी को सफलतापूर्वक विकसित किया है। इसके साथ ही उसने  विभिन्न तरह के परीक्षणों में इन बैटरियों की क्षमता का प्रदर्शन करने के साथ ही लंबी अवधि तक चलने वाले इसके गुणों को भी साबित किया है। इन बैटरियों का इस्‍तेमाल मौजूदा समय ऊर्जा स्रेात के रूप में विभिन्न उपग्रहों और अंतररिक्ष यानों के प्रक्षेपण के लिए किया जाता है।

   ली-ऑयन बैटरी प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण से भेल ऐसी बैटरियों के विनिर्माण में सक्षम हो जाएगा जिससे देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की आवश्यकताएं पूरी की जा सकेंगी। राष्‍ट्रीय स्‍तर पर अन्‍य कार्यों के लिए भी ली-ऑयन बैटरियों के विनिर्माण के लिए यह तकनीक अपनायी जा सकेगी।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More