नई दिल्लीः 16वीं अतर्राष्ट्रीय ऊर्जा फोरम मंत्री स्तरीय बैठक में आपका स्वागत है
मैं तेल उत्पादक और उपभोक्ता देशों के ऊर्जा मंत्रियों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की बड़ी संख्या में भागीदारी से प्रसन्न हूं।
जैसा कि आप वैश्विक ऊर्जा के भविष्य पर विचार-विमर्श के लिए आज एकत्रित हुए हैं, विश्व ऊर्जा की आपूर्ति और खपत में बड़ा परिवर्तन देख रहा है।
- खपत वृद्धि का रूख गैर ओईसीडी देशों: मध्य पूर्व,अफ्रीका और विकसित एशिया की ओर हो गया है;
- अन्य सभी ऊर्जा स्रोतों की तुलना में सौलर फोटो वाल्टिक ऊर्जा किफायती हो गई है। यह आपूर्ति परिप्रेक्ष्य में बदलाव कर रहा है;
- एलएनजी और प्राकृतिक गैस के बढ़ते प्रतिशत के साथ विश्व में प्राकृतिक गैस की पर्याप्त उपलब्धता प्राथमिक ऊर्जा बास्केट में योगदान कर रही है;
- अमेरिका शीघ्र तेल का सबसे बड़ा उत्पादक हो जाएगा। अगले कुछ दशकों में तेल की अतिरिक्त मांग का बड़ा हिस्सा अमेरिका पूरा करेगा;
- ओईसीडी विश्व में और बाद में विकासशील देशों में प्राथमिक ऊर्जा में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में कोयला धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा;
- अगले कुछ दशकों में इलेक्ट्रिक वाहनों के अपनाए जाने के बाद परिवहन क्षेत्र में विशाल परिवर्तन होगा;
- विश्व सीओपी-21 समझौते के आधार पर जलवायु परिवर्तन एजेंडा के प्रति संकल्पबद्ध है। अर्थव्यवस्थाओं की ऊर्जा तीव्रता हरित ऊर्जा और ऊर्जा सक्षमता पर फोकस के साथ बदलेगी।
पिछले महीने एक एजेंसी द्वारा तैयार की ऊर्जा भविष्यवाणी मुझे देखने को मिली, जिसके अनुसार भारत अगले 25 वर्षों में वैश्विक ऊर्जा मांग का प्रमुख प्रेरक होगा। अगले 25 वर्षों में भारत की ऊर्जा खपत प्रति वर्ष 4.2 प्रतिशत बढ़ेगी। यह विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी है कि 2040 तक गैस की मांग तिगुनी हो जाएगी। 2030 तक बिजली से चलने वाले वाहनों की संख्या बढ़कर 320 मिलियन हो जाएगी। आज यह संख्या 3 मिलियन है।
हम ऊर्जा पर्याप्तता के युग में प्रवेश कर रहे हैं, फिर भी 1.2 बिलियन लोगों को अभी भी बिजली नहीं मिल रही है। काफी अधिक लोगों के पास स्वच्छ रसोई ईंधन नहीं है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह स्थिति वंचित लोगों के लिए अहितकर न हो और लोगों को सार्वभौमिक रूप से स्वच्छ, किफायती सतत और समान ऊर्जा सप्लाई हो।
मुझे हाइड्रोकार्बन क्षेत्र और ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने के हमारे प्रयासों पर अपना विचार साझा करने का अवसर दें।
तेल और गैस कारोबार की सामग्री है, लेकिन आवश्यकता की भी। चाहे साधारण आदमी के लिए रसोई हो या विमान हो ऊर्जा आवश्यक है।
विश्व ने एक लंबे समय से मूल्यों में उतार-चढ़ाव देखा है।
हमें आवश्यक रूप से उत्तरदायित्व मूल्य व्यवस्था की ओर बढ़ना होगा, जो उत्पादक और उपभोक्ता दोनों के हितों के बीच संतुलन कायम करें। तेल और गैस दोनों के लिए हमें पारदर्शी और लचीले बाजार की आवश्यकता है। तभी हम अधिक से अधिक रूप में मानवता की आवश्यकता के लिए ऊर्जा दे सकते हैं।
यदि विश्व को सम्पूर्ण रूप से विकसित होना है तो उत्पादक और उपभोक्ताओं के बीच पारस्परिक रूप से समर्थनकारी संबंध बनाने पड़ेंगे। अन्य व्यवस्थाओं का तेजी से बढ़ना उत्पादकों के हित में है। इसे उनके लिए विकसित हो रहे ऊर्जा बाजार सुनिश्चित होंगे।
इतिहास हमें दिखाता है कि कृत्रिम रूप से मूल्यों को तोड़ने-मड़ोने का प्रयास आत्मघाती है। ऐसे प्रयास अनुचित कठिनाइयां पैदा करते हैं, विशेषकर विकसित और कम विकसित देशों के उन लोगों के लिए जो निचली पायदान पर हैं।
आइए, हम इस मंच का उपयोग उत्तरदायित्व मूल्यों व्यवस्था पर वैश्विक सहमति बनाने में करें, जिससे उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों की पारस्परिक हितों को लाभ हो।
वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए भारत को भी ऊर्जा सुरक्षा की जरूरत है। भारत की ऊर्जा भविष्य के लिए मेरे विजन के चार स्तंभ हैं- ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा सक्षमता, ऊर्जा निरंतरता और ऊर्जा सुरक्षा।
भारत के भविष्य के लिए साधारण रूप से ऊर्जा और विशेष रूप से हाइड्रो कार्बन मेरे विजन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। भारत को वैसी ऊर्जा की आवश्यकता है जो प्राप्त होने योग्य और गरीबों के लिए किफायती हो। ऊर्जा के उपयोग में सक्षमता आवश्यक है। देशों के समूह में उत्तरदायी वैश्विक सदस्य के रूप में भारत जलवायु परिवर्तन से मुकाबला,उत्सर्जन नियंत्रण और सतत भविष्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना इस संकल्प को पूरा करने की दिशा में एक कदम है।
वर्तमान में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। सभी प्रमुख एजेंसियां जैसे – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने निकट भविष्य में भारत की विकास दर 7 से 8 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। सरकार मु्द्रा स्फीति की दर कम करने, वित्तीय घाटे पर नियंत्रण और विनिमय दर को स्थिर करने के साथ उच्च विकास दर हासिल करने में सक्षम हुई है। वृहद अर्थनीति में इस स्थिरता ने अर्थव्यवस्था में उपभोग और निवेश को बढ़ावा दिया है।
भारत के पास जनसंख्या के ढांचे में परिवर्तन के परिणामस्वरूप आर्थिक विकास की संभावना है, खासतौर से जब कार्यशील आबादी का आयु वर्ग, गैर-कार्यशील आबादी से बड़ा है। हमारी सरकार मेक इन इंडिया और वस्त्र, पेट्रो रसायन, रक्षा, इंजीनियरिंग जैसे उद्योगों में युवाओं को कौशल विकास प्रदान करने के जरिये स्थानीय निर्माण को प्रोत्साहन दे रही है। परिणामस्वरूप ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा मिला है।
हम कच्चा माल निकालने अथवा उत्पादन की अपनी नीतियों और नियमों में नयापन लाए हैं। इसके अलावा, हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति की शुरूआत के जरिये क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धात्मकता स्थापित की है। बोली लगाने के मानदंड की जगह राजस्व साझा किया जा रहा है। इससे सरकार के हस्तक्षेप को कम करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में बोली का दौर 2 मई तक खुला है। मेरा आपसे अनुरोध है कि उत्पादन बढ़ाने की दिशा में हमारे प्रयास में शामिल हो। ओपन एकरेज और राष्ट्रीय आंकड़ा संग्रह उन क्षेत्रों में कंपनियों की भागीदारी में मदद करेगा, जिनमें उनकी दिलचस्पी है और भारतीय क्षेत्रों में अन्वेषण हित बढ़ाने में मदद मिलेगी।
परिष्कृत तेल पुन: प्राप्ति नीति का उद्देश्य उच्च स्तर वाले क्षेत्रों की उत्पादकता में सुधार लाने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है।
बाजार की प्रवृत्ति से निर्देशित पेट्रोल और डीजल की कीमतों से कच्चे तेल के परिष्करण प्रसंस्करण के साथ-साथ उससे प्राप्त उत्पादों की मार्केटिंग और उनका वितरण पूरी तरह उदार हो गया है। हम ईंधन के रिटेल और भुगतान में डिजिटल मंच की ओर बढ़ चुके हैं।
हमारी सरकार ने समूचे तेल और गैस मूल्य श्रृंखला में अप स्ट्रीम उत्पादन से लेकर डाऊन स्ट्रीम रिटेल में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया है।
हमारी सरकार ऊर्जा नियोजन के लिए एक समेकित दृष्टिकोण में विश्वास करती है और भारत में हमारा ऊर्जा एजेंडा समग्र, बाजार आधारित और जलवायु के प्रति संवेदनशील है। हमारा मानना है कि इससे संयुक्त राष्ट्र के निरंतर विकास एजेंडा के ऊर्जा से जुड़े तीन घटकों को हासिल करने में सफलता मिलेगी, जो इस प्रकार हैं –
2030 तक आधुनिक ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच;
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई – पेरिस समझौते की तर्ज पर;
वायु की गुणवत्ता में सुधार के उपाय;
मित्रों, हमारा मानना है कि खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन लोगों के रहन-सहन का स्तर सुधारने में बेहद महत्व रखता है। इससे महिलाओं को सबसे अधिक लाभ मिलता है। इससे घर के अंदर प्रदूषण कम होता है और जैव ईंधन और लकड़ी एकत्र करने में आने वाली कठिनाइयां कम होती है। इससे उन्हें अपने विकास के लिए अधिक समय मिलता है और वे अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकती हैं।
भारत में, उज्ज्वला योजना के जरिये हम गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान कर रहे हैं। इसका उद्देश्य आठ करोड़ गरीब परिवारों को स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करना है। दो वर्ष से भी कम समय में 3.5 करोड़ कनेक्शन प्रदान किये जा चुके हैं।
हमारा अप्रैल 2020 तक बीएस-6 ईंधन तक पहुंचने का प्रस्ताव है, जो यूरो-6 मानकों के बराबर है। हमारे तेल शोधक संयंत्रों का बड़े पैमाने पर उन्नयन किया जा रहा है। उनका लक्ष्य स्वच्छ ईंधन प्रदान करने की महत्वाकांक्षी समय सीमा को पूरा करना है। नई दिल्ली में हमने इस महीने बीएस-6 मानक के ईंधन की शुरूआत कर दी है।
हमने वाहनों को हटाने की नीति भी शुरू की है, जिससे पुराने वाहनों के स्थान पर स्वच्छ और कम ईंधन खर्च करने वाले वाहनों को लाया जा सकेगा।
हमारी तेल कंपनियां ऊर्जा, विविधता को ध्यान में रखते हुए अपने सभी निवेशों का आकलन कर रही हैं।
आज, तेल कंपनियां वायु और सौर क्षमताओं, गैस संबंधी बुनियादी ढांचे में भी निवेश कर रही हैं और इलेक्ट्रिक वाहन और भंडारण क्षेत्रों में निवेश करने की दिशा में भी विचार कर रही हैं।
जैसा कि हम सभी जानते है, हम इंडस्ट्री 4.0 की तरफ देख रहे हैं, जिसमें नई प्रौद्योगिकी के साथ भविष्य में उद्योग के कार्य करने के तरीके और इंटरनेट जैसी प्रक्रियाओं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स प्रोसेस ऑटोमेशन, मशीन सीखने, भविष्य सूचक विश्लेषण संबंधी, 3-डी प्रिटिंग आदि में परिवर्तन के विचार को शामिल किया गया है।
हमारी कंपनियां नवीनतम प्रौद्योगिकी अपना रही हैं। इससे हमारी प्रभावोत्पादकता में सुधार आएगा और सुरक्षा बढ़ने के साथ न केवल डाउनस्ट्रीम रिटेल में बल्कि अपस्ट्रीम तेल उत्पादन, परिसम्पत्ति के रखरखाव और रिमोट निगरानी में होने वाला खर्च कम होगा।
इस पृष्ठ भूमि में ऊर्जा क्षेत्र के भविष्य पर विचार करने के लिए भारत ने इस कार्यक्रम की मेजबानी की है। वैश्विक परिवर्तन, पारगमन नीतियां और नई प्रौद्योगिकी किस प्रकार बाजार की स्थिरता और भविष्य में क्षेत्र में निवेश को प्रभावित करती है।
आईईएफ-16 का विषय ‘द फ्यूचर ऑफ ग्लोबल एनर्जी सिक्योरिटी’ है। मुझे बताया गया है कि इसका एजेंडा उत्पादक-उपभोक्ता संबंधों में वैश्विक परिवर्तन, ऊर्जा की सार्वभौमिक पहुंच और वहनीयता तथा तेल और गैस में निवेश को बढ़ावा देने जैसे विषय रखे गये है, ताकि भविष्य की मांग को पूरा किया जा सकें। ऊर्जा सुरक्षा और नई और वर्तमान प्रौद्योगिकी की सुरक्षा और सह-अस्तित्व पर भी विचार किया गया है। ये सभी हमारी सामूहिक ऊर्जा सुरक्षा के भविष्य के विषय है।
मुझे विश्वास है कि इस मंच पर होने वाले विचार-विमर्श से दुनिया के नागरिकों को स्वच्छ, सस्ती और निरंतर ऊर्जा का लाभ मिल सकेगा।मैं इस मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं।