लखनऊ: वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री रहे स्व. अवध बिहारी दलित, शोषित और पीड़ित जन के लिये भगवान स्वरुप थे। अंत्योदय के सच्चे उपासक थे। यह बातें गुरुवार को बिन्दौआ में बतौर मुख्य अतिथि वनवासी कल्याण आश्रम के क्षेत्रीय संगठन मंत्री मणिराम पाल ने ‘अंत्योदय’ पुस्तक के लोकार्पण अवसर पर कही।
विशिष्ट अतिथि ओमप्रकाश ने कहा कि अवध बिहारी ने अंत्योदय को प्रण संकल्प सहित जीया। जनजातियों के उत्थान के लिये अनवरत प्रयासरत रहे। गरीबों व शोषितों के लिये निरंतर प्रयासरत रहे। उन्होंने गरीबों के उत्थान के लिये व्यक्तिगत स्तर पर बहुत सारे काम किये हैं, जिसके कारण वनवासी समाज उन्हें आज भी याद करता है।
लोकभारती के बृजेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि अंत्योदय वैश्विक मिशन है। पूरी दुनिया एकात्म मानववाद के सिद्धांत पर ही चलकर सुख, शांति और समृद्धि पा सकती है। एमात्म मानववाद के केन्द्र में अंतिम व्यक्ति को प्राथमिकता दी गयी है। अंत्योदय से ही विश्व का कल्याण संभव है।
पुस्तक के लेखक राजकुमार ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय के जन्मशताब्दी वर्ष में अनेक साहित्य प्रकाशित हुए, जिसमें अंत्योदय को मिशन के रुप में लिखा गया। उसी क्रम में इस पुस्तक को भी लिखा गया है। पुस्तक के चार खंड है, जिसमें लक्ष्य, प्रण, पथ और प्रलेख के रुप में अंत्योदय मिशन को परिभाषित किया गया है। कहा कि यह पुस्तक अंत्योदय जीवन को जीने वाले व इसके लिये अपना सर्वस्व समर्पण करने वाले अवध बिहारी को समर्पित किया गया है।
इस अवसर पर 11 वनवासी बच्चों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुभाष अग्रवाल, संचालन बृजेश पांडेय व धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के प्रमुख डाण् कृपाशंकर पांडेय ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/रामाशीष