पंतनगर: केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह एवं मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पं.गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित चार दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला एवं उद्योग प्रदर्शिनी के समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियाल, विश्वविद्यालय की प्रबन्ध परिषद् के सदस्य एवं विधायक श्री राजेश शुक्ला, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.ए.के.मिश्रा, निदेशक प्रसार शिक्षा डाॅ.वाई.पी.एस. डबास एवं निदेशक शोध डाॅ.एस.एनतिवारी के साथ ही बडी संख्या में किसान व अन्य लोग उपस्थित थे।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने पंतनगर विश्वविद्यालय के गौरवशाली अतीत व वर्तमान में उसकी प्रदेश, देश, महाद्वीप एवं विश्व में स्थापित उज्ज्वल छवि का जिक्र करते हुए कहा कि बीज उत्पादन के क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में विलुप्त हो रहे मोटे अनाजों को संरक्षित व संवर्द्धन के लिये इनके बीज उत्पादन पर विशेष ध्यान दिये जाने पर बल दिया। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने मृदा की गुणवत्ता बढ़ाने एवं सिंचाई के लिये जल के कम से कम उपयोग की तकनीकी के प्रति किसानों को जागरूक करने की वैज्ञानिकों से अपेक्षा की। किसानों की आमदनी दोगुना करने की प्रधानमंत्री की योजना के अन्तर्गत समन्वित खेती के माॅडल तैयार किये जाने पर भी उन्होंने बल दिया। श्री राधा मोहन सिंह ने केन्द्र सरकार के 3.5 वर्ष के कार्यकाल में किसानों व कृषि की दशा सुधारने के लिए चलाई गयी विभिन्न परियोजनाओं व किये गये कार्यों का भी जिक्र किया। उन्होंने केन्द्र सरकार की संस्थागत विकास परियोजना के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 के लिये पंतनगर विश्वविद्यालय को 25 करोड़ की परियोजना दिये जाने की भी घोषणा की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा उत्तराखण्ड में दो प्रकार के भू-भाग है, मैदानी व पर्वतीय। पर्वतीय भू-भाग का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा असिंचित है, इसके लिए अलग प्रकार की रणनीति बनाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र के संसाधनों, विशेषकर मानव संसाधन का पूरा उपयोग नही हो पा रहा है। यहां के शिक्षित युवा किस प्रकार का कार्य करना चाहते है, इस पर शोध किये जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में उन्नत बीज उत्पादन की संभावनाओं की ओर ध्यान दिये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड को जैविक प्रदेश बनाने में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कम समय में गोबर की खाद तैयार किये जाने की विधि तैयार किये जाने की दिशा में भी वैज्ञानिकों से पहल किये जाने की अपेक्षा की। प्रदेश में उपलब्ध जल संसाधनों के बेहतर उपयोग के साथ ही मत्स्य उत्पादन की दिशा में कार्य किये जाने के लिए उन्होंने वैज्ञानिकों से अपील की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भू-जल स्तर में आ रही गिरावट व जल की विशाक्तता को दूर किये जाने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों को भी इस दिशा में अपना सहयोग देना होगा।
प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को किसानों में कृषि के प्रति आ रही उदासीनता को दूर करने में अग्रणी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों से प्रदेश में हर माह प्रत्येक न्याय पंचायत में आयोजित होनेे वाली कृषि चैपाल में सहयोग करने को कहा। उन्होंने आशा प्रकट की कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अपने ज्ञान व अनुभव से वर्ष 2022 से पूर्व ही किसानों की आय दोगुना करने में सफल होंगे। उन्होंने प्रदेश में नर्सरी एक्ट एवं जैविक खेती एक्ट लाये जाने तथा पलायन रोकने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों के शहरीकरण की दिशा में किये जा रहे प्रयासो की भी जानकारी दी।
विधायक श्री राजेश शुक्ला ने खेती की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने तथा बदलते पर्यावरण के अनुसार नये शोध करने के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से कहा तथा आशा प्रकट की कि इस विश्वविद्यालय ने किसानों की आय दोगुना करने का जो बीड़ा उठाया है उसमें अवश्य सफल होगा। पंतनगर विश्वविद्यालय को देश के सभी हिमालयी राज्यों के लिए केन्द्र समर्थित विश्वविद्यालय के रूप में बनाये जाने का उन्होंने केन्द्रीय कृषि मंत्री से अनुरोध किया।
कुलपति प्रो.मिश्रा ने पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त विभिन्न अवार्डों तथा उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने किसान मेले में किसानों को विभिन्न माध्यमों जैसे प्रदर्शन, भ्रमण, गोष्ठी, व्याख्यान इत्यादि से दी गयी नयी तकनीकों की जानकारी के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा तकनीकी प्रसार हेतु किये जा रहे कार्यों की भी जानकारी दी। किसानों की आय दोगुना करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा बनाये गये एवं राज्य व केन्द्र सरकार के स्तर पर सराहे गये 2200 पृष्ठों के दस्तावेज की भी जानकारी दी। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा इस दस्तावेज का विमोचन भी किया गया।
डाॅ.वाई.पी.एस. डबास ने चार दिवसीय 103वें चार दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला एवं उद्योग प्रदर्शिनी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस मेले में विभिन्न फर्मों, विश्वविद्यालय एवं अन्य सरकारी संस्थाओं के छोटे-बड़े 300 स्टाॅल लगाये गये। मेले में नेपाल के किसान एवं विद्यार्थी भी सम्मिलित हुए।
चार दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला एवं उद्योग प्रदर्शिनी के समापन अवसर पर केन्द्रीय कृषि मंत्री एवं मुख्यमंत्री ने प्रदर्शिनी के प्रतिभागियों एवं चयनित स्टाॅल संचालकों को पुरस्कृत किया। जिसमें सर्वोत्तम स्टाॅल के लिए मैसर्स ए.एच.एसोशिएट(किसान फर्टीलाइजर एजेंसी) दानपुर, रूद्रपुर तथा सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए उत्तरांचल एग्रो इन्डस्ट्रीस, किच्छा, ऊधमसिंह नगर को ट्राफी देकर पुरस्कृत किया गया। मेले में लगी उद्यान प्रदर्शनी में सबसे अधिक 34 (19 प्रथम व 15 द्वितीय) पुरस्कार प्राप्त करने पर उत्तराखण्ड सैनिक पुनर्वास संस्था, पत्थरचट्टा के लिए फार्म अधीक्षक श्री वी.पी.श्रीवास्तव को तथा व्यक्तिगत रूप से 22(8 प्रथम एवं 14 द्वितीय) पुरस्कार प्राप्त करने पर भी श्री वी.पी. श्रीवास्तव को शील्ड प्रदान की गयी। विश्वविद्यालय व अन्य सरकारी संस्थानों के स्टाॅलों को भी उनके प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कृत किया गया। इसके अतिरिक्त इस अवसर पर किसान मेले में आयोजित पशु प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता में विभिन्न स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को भी पुरस्कार प्रदान किये गये। साथ ही मेले में लगाये गये विभिन्न वर्गों के स्टाॅलों को भी उनके प्रदर्शन व बिक्री के आधार पर पुरस्कृत किया गया।