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अतिरिक्‍त सचिवों एवं संयुक्‍त सचिवों से प्रधानमंत्री की बातचीत

अतिरिक्‍त सचिवों एवं संयुक्‍त सचिवों से प्रधानमंत्री की बातचीत
देश-विदेश

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने बुधवार को भारत सरकार में कार्यरत 70 से अधिक अतिरिक्त सचिवों एवं संयुक्त सचिवों के एक समूह से मुलाकात एवं बातचीत की। इस तरह की पांच बैठकों की श्रृंखला में यह पहली बैठक थी।

 बातचीत के दौरान अधिकारियों ने डिजिटल एवं स्‍मार्ट गवर्नेंस, प्रशासनिक प्रक्रियाओं एवं जवाबदेही, पारदर्शिता, किसानों की आय दोगुनी करने, कौशल विकास, स्‍वच्‍छ भारत, उपभोक्‍ता अधिकार, पर्यावरण सुरक्षा और 2022 तक नए भारत के निर्माण जैसे विषयों पर अपने अनुभवों को साझा किया।

 प्रधानमंत्री ने कहा कि नागरिकों के कल्‍याण एवं संतुष्टि के लिए विकास एवं सुशासन का संयोजन आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि सुशासन, अधिकारियों के लिए एक प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्‍होंने सरकार के सभी अंगों को समरसता एवं तालमेल के साथ काम करने पर जोर दिया ताकि हरसंभव बेहतरीन परिणाम हासिल किया जा सके। उन्‍होंने कहा कि सभी अधिकारियों को निर्णय लेते समय गरीबों एवं साधारण नागरिकों का ध्‍यान अवश्‍य रखना चाहिए।

 प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया सकारात्मक उम्मीदों के साथ भारत की ओर देख रही है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को लगता है कि वैश्विक संतुलन के लिए एक सफल भारत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत के आम नागरिकों से भी उत्कृष्टता के लिए एक मजबूत अंत:प्रवाह है। विनम्र पृष्ठभूमि से आने वाले युवा सीमित संसाधनों के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं और खेलों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त कर रहे हैं। उन्‍होंने अधिकारियों को प्रतिभा के इस सहज उदय को बढ़ावा देने के लिए उस उत्‍साह एवं ऊर्जा को याद करते हुए काम करने के लिए कहा, जिसे उन्‍होंने अपनी सेवा के पहले तीन साल के दौरान दिखाई होगी।

 प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकारियों के लिए राष्‍ट्र के फायदे के लिए अपना सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन करने का यह एक अनूठा अवसर है। उन्‍होंने साइलो तोड़ने और सरकार के विभिन्‍न विभागों के बीच कुशल आंतरिक संचार के महत्‍व पर जोर दिया। उन्होंने निर्णय लेने में गति और दक्षता की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अच्छे इरादे से लिए जाने वाले ईमानदार निर्णय को केंद्र सरकार द्वारा हमेशा प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को भारत के 100 सबसे पिछड़े जिलों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा ताकि उन्‍हें विभिन्न विकास मानकों पर राष्ट्रीय औसत स्तर के करीब लाया जा सके।

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