नई दिल्ली: अग्रिम कर के जरिये अपनी कर देनदारी के एक हिस्से की अदायगी के लिए उत्तरदायी करदाता को अग्रिम कर के भुगतान में चूक होने पर वैसी स्थिति में ब्याज का अतिरिक्त बोझ वहन करना पड़ेगा, जब पूरे वित्त वर्ष के लिए अदा किया गया कुल अग्रिम कर वास्तविक निर्धारित कर से 10 फीसदी कम रहेगा। इस आंकड़े के 10 फीसदी से ज्यादा रहने की स्थिति में भी संबंधित करदाता को ब्याज का अतिरिक्त बोझ वहन करना पड़ेगा। यह ब्याज आयकर अधिनियम 1961 की धारा 234बी के प्रावधानों के अनुसार लिया जाएगा। इस तरह के करदाताओं को अग्रिम कर के स्थगन की स्थिति में भी तब ब्याज अदा करना पड़ेगा जब अदा किए गए अग्रिम कर की कोई तिमाही किस्त कुल अदा किए गए अग्रिम कर की निर्धारित हिस्सेदारी से कम रहेगी। यह ब्याज आयकर अधिनियम की धारा 234सी के प्रावधानों के अनुसार लिया जाएगा।
अत: इस तरह के करदाताओं के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि वे अपनी वर्तमान आय और अग्रिम कर देनदारी का काफी हद तक सटीक अनुमान लगाएं, ताकि अग्रिम कर की अदायगी में चूक/स्थगन की स्थिति में ब्याज के अतिरिक्त बोझ को टाला जा सके।
उल्लेखनीय है कि पूरे वर्ष कर राजस्व का निरंतर प्रवाह सरकार के लिए अत्यंत आवश्यक है, ताकि विभिन्न बजटीय आवंटनों जैसे कि कल्याणकारी योजनाओं, बुनियादी ढांचागत विकास, रक्षा इत्यादि से जुड़े खर्चों को पूरा किया जा सके। पूरे वित्त वर्ष के लिए कर राजस्व का विश्वसनीय एवं अग्रिम अनुमान लगाने से भी सरकारी खर्च के नियोजन एवं उसकी प्राथमिकता तय करने में सहूलियत होगी।
उपर्युक्त चिंताओं को दूर करने के लिए स्वैच्छिक अनुपालन आधार पर कुछ विशेष तरह के करदाताओं (कंपनियों एवं टैक्स ऑडिट से जुड़े मामले) द्वारा वर्तमान आमदनी, कर भुगतान और अग्रिम कर की देनदारी के अनुमानों के बारे में स्वयं जानकारी (रिपोर्टिंग) देने की एक उपर्युक्त व्यवस्था करने का प्रस्ताव किया जाता है। प्रस्तावित रिपोर्टिंग व्यवस्था का सृजन आयकर नियम, 1962 में एक नये नियम 39ए और फॉर्म संख्या 28एए को शामिल करते हुए किया जाएगा। प्रस्तावित मसौदा अधिसूचना को आयकर विभाग की वेबसाइट (www.incometaxindia.gov.in) पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करा दिया गया है, ताकि हितधारक एवं आम जनता अपने विचार पेश कर सकें। मसौदा नियम और फॉर्म पर अपने विचार एवं सुझाव इलेक्ट्रॉनिक ढंग से इस ईमेल एड्रेस dirtpl4@nic.in पर 29 सितंबर, 2017 तक भेजे जा सकते हैं।
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