नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम: वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश में अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए सामूहिक, समन्वित कार्रवाई की जरूरत है। वे आज केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति हब सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावर चन्द गहलोत, केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री श्री जुआल ओराम, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गिरिराज सिंह, वित्त राज्य मंत्री श्री शिव प्रताप शुक्ला और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश का तभी विकास होगा जब पददलित और वंचित वर्गों का उत्थान होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें देश के विकास के लिए एकीकृत बहु-आयामी विकास एजेंडा की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश के विकास के लिए उद्योगों की स्थापना बहुत महत्वपूर्ण है इससे बेरोजगारी की समस्या का समाधान होगा और आय वृद्धि होगी। उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग और कृषि देश के समग्र विकास के लिए दो महत्वपूर्ण घटक हैं।
उपराष्ट्रपति ने आज राष्ट्रीय संवाद स्टैंड-अप, स्टार्ट-अप, इनक्यूबेशन और नवाचार का जिक्र करते हुए कहा इसे और गति प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत जैसे सभी कार्यक्रम हर वर्ग तक पहुंचने चाहिए और हर व्यक्ति को उसका लाभ मिलना चाहिए। क्षमता निर्माण महत्वपूर्ण है, क्रेडिट उपलब्धता महत्वपूर्ण है और प्रौद्योगिकी उन्नयन भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र (एमएसएमई) भारतीय अर्थव्यवस्था का ढांचा है और कृषि के बाद यह सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिए भी यह एक प्रमुख योगदानकर्ता है। मेक इन इंडिया के साथ 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद के 25 फीसदी विनिर्माण क्षेत्र में योगदान को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई क्षेत्र को लक्ष्य हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जरूरत होगी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कौशल उन्नयन एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमियों के समग्र विकास के लिए सबसे अधिक ध्यान दिये जाने की जरूत है। उन्होंने 2000 से भी अधिक उद्यमियों के कौशल विकास के लिए क्षेत्र कौशल परिषदों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति हब को बधाई दी और कहा कि संघों और इनक्यूबेटरों को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति हब के उद्देश्यों में मदद करने के लिए बड़ी भूमिका निभानी है। प्रत्येक संघ को अपने-अपने क्षेत्र में उद्यमियों को सलाह देने और क्षमता निर्माण में मदद करनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि मैं केन्द्रीय सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति हब सम्मेलन में हितधारकों के साथ बातचीत करने के लिए शिरकत करते हुए वास्तव में बहुत प्रसन्न हूं। देश तभी विकास करेगा जब इस देश के पददलित और वंचित तबकों का उत्थान होगा। तभी महात्मा गांधी, डॉ बाबा साहब अंबेडकर, पंडित दीन दयाल उपाध्याय के सपनों और सरकार की ‘सबका साथ-सबका विकास’ की महत्वाकांक्षा के सपनों को पूरा किया जा सकेगा। जब तक समाज के सभी वर्गों का विकास नहीं होता हम देश को विकसित आकार नहीं दे सकते। जब तक विकास का तब तक कोई अर्थ नहीं है, जब तक वह सभी व्यक्तियों तक न पहुंच जाये। हर किसी को यह महसूस होना चाहिए कि वह देश के विकास में हिस्सेदारी रखता है। हमें देश के विकास के लिए एकीकृत, बहु-आयामी विकास एजेंडे की जरूरत है।
देश के विकास के लिए उद्योगों की स्थापना करना बहुत महत्वपूर्ण है। जिससे बेरोज़गारी की समस्या का समाधान होगा और आय में वृद्धि होगी। उद्योग और कृषि लोगों की दो आँखें हैं दोनों ही देश के समग्र विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। ‘सब का साथ – सब का विकास’ के सपनों को पूरा करने के लिए बड़े उद्योगों के साथ छोटे उद्योगों को भी प्रोत्साहन देने की जरूरत है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि हमारे देश में लगभग 22 लाख लघु उद्योग हैं और हर साल इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। 2007 में देश में लगभग 2 लाख लघु उद्योगों को स्थापित किया गया था। यह संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है और अब देश में लगभग 4 लाख छोटे और मध्यम उद्योग लगाये जा रहे हैं। इस संख्य में और बढ़ोत्तरी होगी। इन्हें प्रोत्साहन देना और तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराना और तैयार माल को बेचने के लिए बाजार उपलब्ध कराना बहुत महत्वपूर्ण है।
सरकार ने इसी उद्देश्य के लिए अनुसूचित जाति/जनजाति हब की स्थापना की है। सरकार ने एक नीति बनाई है कि जो भी वस्तुएं खरीदी जाये उनकी कम से कम 4 प्रतिशत खरीददारी अनुसूचित जाति/जनजाति इकाइयों से की जाये। राष्ट्रीय वार्ता में बदलाव हुआ है आज हम स्टैंड-अप, स्टार्ट-अप, इनक्यूबेशन और नवाचार की बात करते हैं। इससे कौशल उद्यमशीलता के विकास को और गति प्राप्त होनी चाहिए। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत जैसे सभी कार्यक्रम हर वर्ग तक पहुंचने चाहिए और हर व्यक्ति को उसका लाभ मिलना चाहिए। क्षमता निर्माण महत्वपूर्ण है, क्रेडिट उपलब्धता महत्वपूर्ण है और प्रौद्योगिकी उन्नयन भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
महिलाओं का सशक्तीकरण संपूर्ण मानवता को सशक्त बनाना है, क्योंकि महिलाओं का आबादी में 50 प्रतिशत हिस्सा है। महिलाओं को समान अवसर दिए बिना हम देश का विकास होने का दावा नहीं कर सकते। इसी तरह हम अपने देश के विकसित होने का दावा नहीं कर सकते हैं जब यहां वंचित वर्ग मौजूद हों उन्हें विकास की धारा में शामिल होने का मौका नहीं दिया जाता हो। इसलिए ऐसे वर्गों को उत्थान करना किसी भी सरकार का कर्तव्य है। यह प्रयास भारत के समग्र विकास के लिए है इसमें सभी को भाग लेना चाहिए इसे एक पवित्र जिम्मेदारी के रूप में लिया जाना चाहिए तभी अनुसूचित जाति/जनजाति का विकास होगा।