ऋषिकेश: उत्तराखण्ड के राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल ने आज परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में सात दिवसीय ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव’ का उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि के रूप में समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ऋषिकेश में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस महोत्सव की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है जो ‘योग और आध्यात्मिक पर्यटन’ के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड को उत्कृष्ट गंतव्य स्थल के रूप में स्थापित करने में मददयुष मंत्रालय भारत सरकार, उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद, गढ़वाल मंडल विकास निगम तथा परमार्थ निकेतन ऋषिकेश द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित योग महोत्सव में संतो, योगाचार्यों तथा दुनिया के विभिन्न देशों से आए उत्साही योग साधकों के बीच स्वयं की मौजूदगी पर प्रसन्नता व्यक्त की।
उत्तराखण्ड को योग की जन्मस्थली बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार सत्य और ज्ञान की खोज तथा ध्यान के लिए ऋषि-मुनियों, संतों ने जिस शांतिपूर्ण प्राकृतिक स्थल का चयन किया वह क्षेत्र देवभूमि उत्तराखण्ड ही था। ऋषि-मुनियों की यह तपस्थली आज पूरे विश्व में योग और साधना की जन्मस्थली के रूप में विख्यात हो चुकी है। यह अद्भुत और सुखद है कि विश्व के कोने-कोने से योग प्रेमी ‘आध्यात्म और योग’ के इस आयोजन में शामिल होने के लिए वर्षों से एकत्र हो रहे हैं।
सुगन्धित बासंतिक मौसम तथा पवित्र गंगा नदी के निर्मल जल प्रवाह के निकट आयोजित ‘योग महोत्सव’ की आलौकिकता के प्रभाव का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ‘मैंने विगत दो वर्षों से इस आयोजन के समापन समारोह में आकार इसके उत्कर्ष को देखा और आनन्दित हुआ किन्तु अद्भुत कल्याण और एकता के इस महोत्सव का उद्घाटन करके मैं और अधिक प्रसन्न हूँ।
राज्यपाल ने देश-विदेश से आये प्रतिभागियों का आह्वाहन करते हुए कहा कि आज माँ गंगा के पवित्र तट पर, हिमालय की गोद में बैठकर संकल्प ले कि शांति, स्वास्थ्य और एकता के संवाहक के रूप में पूरी दुनिया को योग के लाभ से परिचित करायेंगे क्योंकि सभी को प्रत्येक क्षण इसकी सख्त जरूरत है।
राज्यपाल ने कहा कि योग, ध्यान से सम्बद्ध है, अथर्ववेद और ऋग्वेद से इसकी जड़ें जुड़ी हैं। आधुनिक युग में भी यह उतना ही प्रासंगिक है। योग, मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है तथा अवसाद और तनाव से भी बचाता है। यह ‘योग उत्सव’ एक अद्भुत तरीके से विभिन्न सभ्यताओं और विभिन्न धर्मों के लोगों को आपस में जोड़ रहा है और शारीरिक, आध्यात्मिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रोत्साहित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन शैली में शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। योग से तनाव व अवसाद जैसी अनेक मानसिक समस्याओं से भी निजात मिलती है।
राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत के युज शब्द से ‘योग’ शब्द बना है जिसका अर्थ है जुड़ना, वास्तविक रूप में यह व्यक्ति और ब्रहमतत्व के बीच का श्रेष्ठ जुड़ाव है। महर्षि पतंजलि द्वारा बताये गये अष्ठांग योग के आठ अंगों में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से अभिन्न सम्बन्ध रखते हैं। योग को दैनिक जीवन शैली का हिस्सा बनकर कई लोग धुम्रपान जैसे व्यसनों से निजात पा चुके हैं। नशामुक्ति केन्द्रों द्वारा भी योग के माध्यम से लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि योग विशेषज्ञों का यह वार्षिकोत्सव उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक गतिविधियों का सबके आकर्षक और सार्थक आयोजन है, जिसमें विश्व के प्रत्येक कोने से आने वाले योगी, विद्यार्थी, आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड़े व्यक्ति, शांति की खोज में निकले जिज्ञासु लोग गंगा के पवित्र तट पर प्राचीन रहस्यों को आत्मसात करने के लिए एकत्र हुए हैं।