उज्जैन स्थित महाकालेश्वर शिवलिंग पर अब सिर्फ RO (Reverse osmosis) के जल से ही अभिषेक किया जाएगा. दरअसल, महाकाल शिवलिंग के क्षरण (छोटा होना) को देखते हुए कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पुरातत्व विभाग, भूवैज्ञानिक और अन्य विशेषज्ञों की टीम को जांच करने का निर्देश दिया था. विशेषज्ञों की टीम ने सुप्रीम कोर्ट को कुछ सुझाव सौंपे थे जिसे कोर्ट ने हरी झंडी दे दी. अब महाकाल पर सिर्फ आरओ का जल ही चढ़ाया जाएगा साथ ही साथ अभिषेक की मात्रा भी तय की जाएगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रशासन को कुल मिलाकर निम्नलिखित सुझावों पर अमल करने के लिए कहा है.
- श्रद्धालु 500 मिलीलिटर से ज्यादा जल नहीं चढ़ाएंगे.
- चढ़ाया जाने वाला जल सिर्फ RO का होगा.
- भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से पूरी तरह ढका जाएगा. अभी तक सिर्फ 15दिन के लिए शिवलिंग को आधा ढका जाता था.
- अभिषेक के लिए हर श्रद्धालु को निश्चित मात्रा में दूध या पंचामृत चढ़ाने की इजाज़त होगी.
- शिवलिंग पर चीनी पाउडर लगाने की इजाज़त नहीं होगी, बल्कि खांडसारी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा.
- नमी से बचाने के लिए ड्रायर व पंखे लगाए जाएंगे और बेलपत्र व फूल-पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग में चढ़ेंगे, ताकि शिवलिंग के पत्थर को प्राकृतिक सांस लेने में कोई दिक्कत न हो.
- शाम 5 बजे के बाद अभिषेक पूरा होने पर शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा होगी.
- अभी तक सीवर के लिए चल रही तकनीक आगे भी चलती रहेगी, क्योंकि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनने में एक साल लगेगा.
भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से स्वयंभू दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर का स्थान प्रमुख है. तांत्रिक परम्परा में मात्र महाकाल को ही दक्षिण मूर्ति पूजा का महत्व प्राप्त है. इसका वर्णन महाभारत, स्कन्दपुराण, वराहपुराण, नृसिंह पुराण, शिवपुराण, भागवत, शिवलीलामृत आदि ग्रन्थों में आता है. वर्तमान मंदिर तीन भाग में सबसे नीचे श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ उसके ऊपर ’श्री ओंकारेश्वर’ एवं सबसे ऊपर श्री नागचंद्रेश्वर है. श्री महाकालेश्वर मंदिर के दक्षिण दिशा में श्री वृद्धमहाकालेश्वर एवं श्री सप्तऋषि के मंदिर हैं.