राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचे के मामले में अगली सुनवाई आठ फरवरी को होगी. मंगलवार को सुनवाई के दौरान तीन जजों की बैंच ने अगली सुनवाई तक दोनों पक्षों को दस्तावेज जोड़ने को कहा. इससे पहले मुस्लिम पक्ष की ओर से मामले की सुनवाई 2019 के चुनावों के बाद करने की मांग की गई. इसे कोर्ट ने ठुकरा दिया.
मुस्लिम पक्ष की ओर से आरोप लगाया गया कि राजनीतिक फायदे के लिए मामले की सुनवाई में जल्दी की जा रही है. इसके जवाब में हिंदू पक्ष ने लंबे समय से केस के पेंडिंग रहने की दलील दी. जजों ने इस मांग को ठुकरा दिया.
सिब्बल के सवाल
मुस्लिम पार्टियों के वकील कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि यह मामला लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग था. इसे अब सुनवाई के लिए क्यों लाया गया है. मामले को कुछ महीनों में पूरा करने की जल्दबाजी क्यों. चुनावी घोषणापत्र में कहा गया था कि 2019 से पहले कानूनी तरीके से राम मंदिर का निर्माण कर दिया जाएगा. इसलिए सुब्रमण्यम स्वामी जो कि इसमें पार्टी भी नहीं है उन्होंने जल्दी सुनवाई की अर्जी डाली. इसके बाद उन्होंने इसके लिए पीएम को चिट्ठी भी लिखी. और सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी. और कोर्ट अब मामले को जल्दी समाप्त करने के लिए बेवजह की जल्दी कर रहा है. ऐसा नहीं होना चाहिए.
साल्वे के जवाब
हिंदू पक्ष की ओर से हरीश साल्वे ने कहा कि यह एक सामान्य सा मामला भर है और तीन जजों द्वारा ही इस पर फैसला होना चाहिए. इसे संवैधानिक पीठ को भेजे जाने की जरूरत नहीं है. यह केस सात साल से पेंडिंग था इसलिए यदि सुप्रीम कोर्ट इस पर जल्दी फैसला कर रहा है तो गलत क्या है. (news18)