नई दिल्ली: कॉफी बोर्ड ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले में स्थित अराकू घाटी के जनजातीय समुदायों द्वारा विकसित की जाने वाली कॉफी की विशिष्ट पहचान के संरक्षण के लिए भौगोलिक संकेतों के तहत अराकू कॉफी के पंजीकरण के लिए आवेदन किया है।
इस आशय की जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सी.आर. चौधरी ने आज लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी।
केन्द्र सरकार कॉफी बोर्ड के जरिए ‘एकीकृत कॉफी विकास परियोजना’ क्रियान्वित कर अराकू घाटी में कॉफी उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इस योजना में पुनर्रोपण एवं विस्तार, जल संचयन एवं सिंचाई बुनियादी ढांचे का निर्माण और कॉफी एस्टेट के परिचालन के मशीनीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है। इसके अलावा क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के आयोजन और संबंधित क्षेत्रों में प्रदर्शन के लिए तकनीकी सहायता भी दी जाती है। एसएचजी और उत्पादक समूहों के लिए प्रति किलोग्राम 10 रुपये का प्रोत्साहन देकर कॉफी बोर्ड अराकू कॉफी के सामूहिक विपणन को सुविधाजनक बना रहा है।
अराकू घाटी क्षेत्र में उत्पादित होने वाली अराबिका कॉफी एक उत्तम गुणवत्ता वाली विशेष कॉफी के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हो गई है। कॉफी बोर्ड ने देश में उत्पादित होने वाली विभिन्न कॉफी किस्मों के लिए उनकी भौगेलिक विशिष्टता के आधार पर विशेष लोगो विकसित किए हैं।
कॉफी बोर्ड हर साल आयोजित की जाने वाली ‘फ्लेवर ऑफ इंडिया-द फाइन कप अवार्ड’ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कॉफी उत्पादकों को प्रोत्साहित करता है। इस प्रतियोगिता का आयोजन कॉफी बोर्ड द्वारा किया जाता है।