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‘अल्‍प-पोषण से निपटने के लिए मिशन मोड’ पर पहला राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन नई दिल्‍ली में आयोजित

‘अल्‍प-पोषण से निपटने के लिए मिशन मोड’ पर पहला राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन नई दिल्‍ली में आयोजित
देश-विदेश

नई दिल्ली: ‘अल्‍प-पोषण से निपटने के लिए मिशन मोड’ पर पहले राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का नई दिल्‍ली में सफलतापूर्वक आयोजन हुआ। सम्‍मेलन का उद्घाटन महिला व बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने महिला व बाल विकास राज्‍य मंत्री डॉ. वीरेन्‍द्र कुमार की उपस्थिति में किया। नीति आयोग के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय सचिव श्री परमेश्‍वरन अय्यर, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव श्री राकेश श्रीवास्तव और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव श्री मनोज झालानी ने भी सम्‍मेलन को संबोधित किया। सम्‍मेलन का आयोजन महिला व बाल विकास मंत्रालय ने कुपोषण मुक्‍त भारत मिशन-2022 के लक्ष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए पेयजल व स्‍वच्‍छता मंत्रालय तथा स्‍वास्‍थ्‍य व परिवार कल्‍याण मंत्रालय के सहयोग से किया।

इस अवसर पर श्रीमती मेनका संजय गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम की अभूतपूर्व सफलता के बाद महिला व बाल विकास मंत्रालय ने कुपोषण समाप्‍त करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। इसके लिए पूरक पोषण की गुणवत्ता में सुधार करने तथा वितरण व्‍यवस्‍था को कार्यकुशल बनाने की आवश्‍यकता है। श्रीमती मेनका गांधी ने कहा कि आईसीडीएस कार्यक्रम के तहत महिला को 1000 कैलोरी तथा बच्‍चों को 600 कैलोरी उपलब्‍ध कराने की जरूरत है। पूरे कार्यक्रम के दौरान इस विषय पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया कि महज भोजन मुहैया कराने के बजाए ‘पोषकता से युक्‍त भोजन’ के जरिए पोषक आहार उपलब्‍ध कराया जाए। इसे लागू करने के लिए नीति में बदलाव की जरूरत है। इस संबंध में महिला व बाल विकास मंत्रालय पूरक पोषण के लिए दिशा-निर्देश शीघ्र ही जारी करेगा। इसी प्रकार अति कुपोषित बच्‍चों (एसएएम) के लिए भी मंत्रालय दिशा-निर्देश जारी करेगा। मंत्री महोदया ने बच्‍चों के संरक्षण के साथ-साथ उनके पोषण के महत्‍व को भी रेखांकित किया।

महिला व बाल विकास राज्‍य मंत्री डॉ. वीरेन्‍द्र कुमार ने कहा कि आज का सम्‍मेलन एक ऐतिहासिक आयोजन है। मंत्री महोदय ने कहा कि देश ने चेचक, पोलियो जैसी कठिन समस्‍याओं को समाप्‍त करने में सफलता प्राप्‍त की है। इसलिए कुपोषण समाप्‍त करने में देश को अधिक कठिनाई नहीं आनी चाहिए। 2022 तक कुपोषण समाप्‍त करने के लक्ष्‍य की जवाबदेही जिलाधिकारी/उपायुक्‍त के साथ अन्‍य जिला स्‍तर के अधिकारियों को लेनी चाहिए।

नीति आयोग के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत ने कहा कि कुपोषण समाप्‍त करने की जिम्‍मेदारी उपायुक्‍तों/ जिलाधिकारियों की है। इन अधिकारियों को समस्‍या से लड़ने की आवश्‍यकता है और निगरानी के लिए इन्‍हें आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल करना चाहिए।

पेयजल एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय के सचिव श्री परमेश्‍वरन अय्यर ने कहा कि कुपोषण की समस्‍या पेयजल व स्‍वच्‍छता से गहरे रूप से जुड़ी हुई है। स्‍वच्‍छ भारत मिशन पूर्ण स्‍वच्‍छता का लक्ष्‍य हासिल करने के लिए प्रयासरत है जो कुपोषण की समस्‍या को भी कम करने में मदद करेगा।

महिला व बाल विकास सचिव श्री राकेश श्रीवास्‍तव ने कहा कि भारत में यह मामला रक्‍त की कमी और विकास अवरुद्ध होने से जुड़ा हुआ है।

स्‍वास्‍थ्‍य व परिवार कल्‍याण मंत्रालय के अपर सचिव श्री मनोज झालानी ने मातृ-शिशु स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के लिए मंत्रालय द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों का विवरण प्रस्‍तुत कि‍या।

सम्‍मेलन में जिलाधिकारियों/उपायुक्‍तों, जिला स्‍तर के अन्‍य अधिकारियों, स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण के अधिकारियों, पेयजल और स्‍वच्‍छता विभाग के अधिकारियों, 113 चिन्हित जिलों के अधिकारियों तथा मुख्‍य सचिवों ने अल्‍प पोषण, विकास अवरुद्ध होने इत्‍यादि विषयों पर चर्चाएं कीं।

आज के सम्मेलन के कुछ महत्वपूर्ण सत्र थे- भोजन की पोषकता, स्तनपान के माध्यम से स्थायी समाधान, आहार विविधीकरण, मिशन इंद्रधनुष के माध्यम से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार, निगरानी को उच्‍च स्‍तरीय बनाना आदि।

श्रीमती मेनका संजय गांधी ने एनएफएचएस -3 और एनएफएचएस -4 के बीच दस साल की अवधि के दौरान तीन राज्यों छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश और गुजरात को विकास अवरुद्ध होने की समस्‍या में पर्याप्त कमी लाने के लिए पुरस्कार प्रदान किया। श्रीमती मेनका गांधी ने आदिवासी बच्‍चों के बीच पोषण में सुधार के लिए समाधानों पर आधारित “फॉरेस्‍ट लैन्‍टर्न्स” नामक एक पुस्तक का विमोचन किया।

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