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असम के दीपोर बील में विश्‍व आद्रभूमि दिवस समारोह

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नई दिल्लीः केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी और पृथ्‍वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा है कि आद्र भूमि शहरों और मानवता के लिए महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आज विश्‍व आद्रभूमि दिवस के अवसर पर डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि आद्र भूमि पेय जल का स्रोत है, बाढ़ में कमी लाती है, आद्र भूमि के वनस्‍पतिकरण से घरेलू और औद्योगिक कचरे की सफाई होती है और इससे जल की गुणवत्‍ता में सुधार होता है। आद्र भूमि को बचाना मानवता को बचाना है।

     विश्‍व आद्र भूमि दिवस 2018 के अवसर पर अपने संदेश में डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, ‘विश्‍व आद्र भूमि दिवस पर मैं देश में हरित नेक कार्यों के लिए मजबूत आंदोलन विकसित करने में आप सभी से ह्दय और आत्‍मा से शमिल होने की अपील करता हूं। मेरा मानना है कि यह समाज और देश के प्रति हमारी हरित सामाजिक जिम्‍मेदारी है। उन बच्‍चों के अधिकारों की रक्षा करना हमारा कर्तव्‍य है, जिन्‍होंने अभी जन्‍म नहीं लिया है। यह सुनिश्चित करना भी हमारा कर्तव्‍य है कि हम अपने बच्‍चों को स्‍वच्‍छ और हरित वातावरण प्रदान करें।’

   विश्‍व आद्र भूमि दिवस मनाने आए सैकड़ों स्‍कूली और कॉलेज के विद्यार्थियों के साथ डॉ. वर्धन ने संवाद किया। पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत राष्‍ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय द्वारा विश्‍व आद्र भूमि दिवस पर पोस्‍टरों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

   पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने असम सरकार के वन विभाग के साथ सहयोग से आज गुवाहाटी में रामसर स्‍थल दीपोर बील में राष्‍ट्रीय स्‍तरीय विश्‍व आद्र भूमि दिवस 2018 का आयोजन किया। इसका थीम सतत शहरी भविष्‍य के लिए आद्र भूमि है। यह आद्र भूमि को शहरों और कस्‍बों को रहने लायक बनाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है और आद्र भूमि की भूमिका भू-जल को रिचार्ज करने, बाढ़ को कम करने, कचरे जल को साफ करने तथा आय के अवसर बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण है।

     पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन सचिव श्री सी.के. मिश्रा ने प्रमुख भाषण दिया। इस समारोह के पहले स्‍कूली बच्‍चों की पेंटिंग प्रतियोगिता हुई। आद्र भूमि पर एक तकनीकी कार्यशाला का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें विशेषज्ञ आद्र भूमि संरक्षण और उसके उचित इस्‍तेमाल के लिए रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।

    प्रत्‍येक वर्ष 02 फरवरी को विश्‍व आद्र भूमि दिवस मनाया जाता है। इसी दिन आद्र भूमि रामसर समझौते को अपनाया गया था। आद्र भूमि पर समझौते को रामसर समझौता कहा जाता है। यह अंतर सरकारी संधि है, जो आद्र भूमि के संरक्षण और उचित उपयोग तथा उनके संसाधनों के लिए राष्‍ट्रीय कार्रवाई तथा अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग का ढांचा प्रदान करती है। यह समझौता 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया। भारत 1982 से इस समझैते का सदस्‍य है और आद्र भूमि के उचित इस्‍तेमाल में रामसर दृष्टिकोण के प्रति संकल्‍पबद्ध है।

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     पर्यावण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय आद्र भूमि संरक्षण के लिए नोडल मंत्रालय है। यह 1985 से रामसर स्‍थलों सहित आद्र भूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रबंधनकारी योजना के डिजाइन और कार्यान्‍वन में राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को समर्थन दे रहा है। 140 से अधिक आद्र भूमियों के लिए प्रबंध कार्रवाई योजना लागू करने के लिए राज्‍य सरकारों को तकनीकी सहायता प्रदान की गई है।

     राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार 400 हेक्‍टेयर से अधिक जमीन यानी भारत की 12 प्रतिशत भूमि बाढ़ और नदी के कटाव की संभावना से घिरी हुई है। कुल भौगोलिक क्षेत्र में आद्र भूमि 4.7 प्रतिशत है।

    पर्यावरण मंत्रालय ने समाज के सभी वर्गों के लोगों से आद्र भूमि के महत्‍व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्‍व आद्र दिवस का उपयोग करने का आग्रह किया है।

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