देहरादून: अहमदाबाद में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने काकड़िया झील का निरीक्षण किया। उन्होने झील परिसर में पर्यटन विकास सेे सम्बंधित योजनाओं एवं अन्य गतिविधियों का मुख्य सचिव एवं पर्यटन सचिव के साथ स्थलीय निरीक्षण भी किया। उन्होने काकड़िया झील की तरह उत्तराखण्ड की झीलों में भी पर्यटन विकास की सम्भावनायें तलाशे जाने के लिये कार्ययोजना बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिये।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं। उत्तराखण्ड पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, पर्यटन को और अधिक बढ़ावा देने के लिए नए प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सरकार की ग्रामीण पर्यटन व संस्कृति ग्राम जैसी योजना कारगर साबित हो सकती है, इसके माध्यम से पर्यटकों को उत्तराखण्ड की संस्कृति, सभ्यता और विशिष्टताओं के बारे में एक ही स्थान पर अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि काकड़िया गुजरात की सबसे बड़ी झील है. जो 3 किलोमीटर की परिधि में फैली है। काकड़िया झील अहमदाबाद में काफी लोकप्रिय है तथा पर्यटकों के आकर्षण का भी केन्द्र है। इस झील में वर्तमान में, पर्यटकों के लिए एक एक्टीविटी सेंटर के तौर पर स्थापित किया गया है जहां कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है। यहां बाल वाटिका है जो विशेष तौर पर बच्चों के लिए बनाई गई है। यहां एक बोट क्लब भी है जहां आकर पर्यटक, बोटिंग का लुफ्त भी उठा सकते है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने काकडिया झील परिसर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्थापित किड सिटी का भी अवलोकन किया। उन्होने कहा कि यहां पर बच्चों के कैरियर कौशल विकास की भी व्यवस्था बनाई गई है। बच्चे भविष्य में क्या बनना चाहेंगे, क्या कैरियर अपनाना चाहेंगे, इसकी भी तालीम की व्यवस्था है, इसके लिये यहां पर सम्बंधित विषयों के जानकार उपलब्ध रह कर बच्चों को उनके कैरियर चुनाव में मदद करते है, तथा उनकी जिज्ञासाओं का भी समाधान करते हैं। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने साबरमती रिवर फ्रंट में आयोजित फ्लावर शो का भी अवलोकन किया, इस फ्लावर शो में गुजरात के साथ ही राजस्थान, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के नर्सरी उत्पादकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। मुख्यमंत्री ने अपने भ्रमण के दौरान एशिया के सबसे बड़े रेपटाइल पार्क का भी अवलोकन किया तथा इसके रख रखाव आदि की जानकारी प्राप्त की।
झील के चारों ओर व आसपास स्थित टूरिस्ट स्पॉट के दर्शन कराने के लिए यहां अटल एक्सप्रेस नाम से टॉय ट्रेन भी संचालित की जाती है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने इस अवसर पर इस टाॅय ट्रेन की सवारी भी की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य की झीलों आदि में इस प्रकार के प्रयोग बच्चों के लिये शिक्षाप्रद होने के साथ ही पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकते है।
पर्यटकों को आकर्षित करने और यहां की संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए दिसंबर महीने के आखिरी सप्ताह में यहां काकड़िया कार्निवल मनाया जाता है। कार्निवल में कल्चरल, आर्ट और कई सोशल इवेंट्स होते हैं। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत इस कार्निवाल में भी सम्मिलित हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में टिहरी, नैनीताल, नानक सागर, कालागढ़ के साथ ही सूर्यधार झील परियोजना व सौंग बांध आदि का इसी लेक की तर्ज पर पर्यटन व अन्य गतिविधियों के लिये विकसित किया जा सकता है, इसके लिये विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के भी निर्देश उन्होने दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड का नैसर्गिंक सौन्दर्य पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहां की झीलों के साथ ही रमणीय बुग्यालों, ओली, मुनस्यारी के बर्फीले तल, चारधाम के अलावा अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों को भी देश व दुनिया के सामने लाने की जरूरत है। इस दिशा में यदि प्रभावी पहल की जाये तो उत्तराखण्ड पर्यटन प्रदेश बनने के साथ ही प्रदेश की आर्थिकी का भी मजबूत आधार बन सकता है। इसी दिशा में प्रदेश के 13 जनपदों में 13 नये गतंव्य स्थापित किये जा रहे है।