नई दिल्ली: गरीबी रेखा से संबद्ध वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक सहायता एवं जीवन यापन के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करने वाली ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना’ का शुभारंभ आंध्र प्रदेश के नेल्लोर ज़िले में 01 अप्रैल 2017 को किया जाएगा। केन्द्रीय सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने आज मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए शारीरिक सहायता एवं जीवन यापन के लिए आवश्यक उपकरणों को शिविरों के माध्यम से वितरित किया जाएगा और इस योजना को भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्रालय के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम) नामक एकमात्र कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा लागू किया जाएगा। यह एजेंसी सहायता एवं जीवन यापन के लिए आवश्यक उपकरणों की एक वर्ष तक निःशुल्क देखरेख करेगी। ये उपकरण वरिष्ठ नागरिकों को आयु संबंधी शारीरिक दिक्कतों से निपटने में मदद करेंगे और परिवार के अन्य सदस्यों के ऊपर उनकी निर्भरता को कम करते हुए उन्हें बेहतर जीवन जीने का अवसर देंगे।
इस दौरान केन्द्रीय सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर एवं श्री विजय सांपला भी मौजूद थे।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी 10.38 करोड़ है। वरिष्ठ नागरिकों की 70 फीसदी से भी अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। वरिष्ठ नागरिकों का एक बड़ा प्रतिशत वृद्धावस्था में होने वाली अक्षमताओं से पीड़ित है। एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2026 तक उम्रदराज़ लोगों की आबादी बढ़कर करीब 173 मिलियन हो जाएगी।
केन्द्र सरकार ने वृद्धावस्था में होने वाली बीमारियों से पीड़ित, गरीबी रेखा से संबंध रखने वाले वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक सहायता एवं जीवन यापन के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की एक केन्द्रीय योजना का प्रस्ताव किया है।
गरीबी रेखा से संबंध रखने वाले वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक सहायता एवं जीवन यापन के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करने की योजना तैयार करने के प्रस्ताव की घोषणा 2015-16 के बजट में की गई थी। इसके लिए ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना’ को तैयार किया जा चुका है। इसका उद्देश्य आयु संबंधी बीमारियों (कम दृष्टि, सुनने में परेशानी, दांतों का टूट जाना एवं गतिरोध विकलांगता आदि) का सामना कर रहे है बीपीएल श्रेणी से संबद्ध बुज़ुर्गों को जीवन यापन के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान कर उनके जीवन को सामान्य अथवा सामान्य के करीब लेकर आना है। ये सहायक उपकरण उच्च गुणवत्ता से युक्त होंगे और जहां कहीं भी लागू होगा वहां इन उपकरणों को भारत मानक ब्यूरों द्वारा तय मापदंडों के अनुसार तैयार किया जाएगा।
यह सार्वजनिक क्षेत्र की केन्द्रीय योजना है, जिसके लिए पूर्ण रूप से केन्द्र सरकार द्वारा अनुदान दिया जाएगा। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए अनुदान ‘वरिष्ठ नागरिक’ कल्याण कोष से मिलेगा। इस योजना के अंतर्गत, योग्य बुज़ुर्ग लाभार्थियों को उनकी बीमारी एवं अक्षमता के आधार पर निम्नलिखित सहायता एवं जीवन जीने के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।
- चलने की छड़ियां
- कोहनी बैसाखियां
- वाकर (चलने का उपकरण)/बैसाखी
- तिपाई/क्वाडपोड
- सुनने की मशीन
- पहिये वाली कुर्सी (व्हील चेयर)
- कृत्रिम दांत एवं जबड़ा
- चश्मा
योजना की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैः-
- योग्य वरिष्ठ नागरिकों को उनकी विकलांगता/दुर्बलता के अनुरूप निःशुल्क उपकरणों का वितरण।
- एक ही व्यक्ति में अनेक विकलांगता/दुर्बलता पाए जाने की स्थिति में, प्रत्येक विकलांगता/दुर्बलता के लिए अलग-अलग उपकरण प्रदान किए जाएंगे।
- ये उपकरण वरिष्ठ नागरिकों को आयु संबंधी शारीरिक दिक्कतों से निपटने में मदद करेंगे और परिवार के अन्य सदस्यों के ऊपर उनकी निर्भरता को कम करते हुए उन्हें बेहतर जीवन जीने का अवसर देंगे।
- योजना को भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्रालय के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम) नामक एकमात्र कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा लागू किया जाएगा।
- भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम बुज़ुर्गों को दी जाने वाली इस सहायता एवं जीवन जीने के लिए आवश्यक उपकरणों की एक वर्ष तक निःशुल्क देखरेख करेगा।
- प्रत्येक ज़िले में लाभार्थियों की पहचान राज्य/केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों द्वारा उपायुक्त/ज़िलाधीश की अध्यक्षता वाली कमेटी के ज़रिए की जाएगी।
- जहां तक संभव होगा, प्रत्येक ज़िले में 30 फीसद लाभार्थी बुज़ुर्ग महिलाएं होंगी।
- बीपीएल श्रेणी के बुज़र्गों की पहचान करने के लिए राज्य सरकार/केन्द्रशासित प्रदेश प्रशासन/ज़िलास्तरीय कमेटी एनएएसपी अथवा किसी अन्य योजना के अंतर्गत वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त कर रहे बीपीएल लाभार्थियों के आंकड़ें एवं जानकारियों का सदुपयोग भी कर सकते हैं।
- ये सभी उपकरण शिविरों के माध्यम से वितरित किए जाएंगे।
- इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए आगामी तीन वर्षों (वित्तीय वर्ष 2019-20 तक) के लिए अनुमानित वित्तीय खर्च 483.6 करोड़ रुपये है।
देश में अपनी तरह की पहली महत्वाकांक्षी योजना से आगामी तीन वर्षों में करीब 5,20,000 वरिष्ठ नागरिकों को फायदा मिलने की उम्मीद है।