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आईआरएमए द्वारा डीएवाई-एनआरएलएम के प्रभाव का आकलन

आईआरएमए द्वारा डीएवाई-एनआरएलएम के प्रभाव का आकलन
देश-विदेश

जून 2011 में शुरू की गई दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) का उद्देश्य देश में सभी ग्रामीण गरीब परिवारों को संगठित करना और अत्यधिक गरीबी की समस्या से बाहर आने तक लगातार उनका सहयोग करना है। वर्तमान में सभी 29 राज्य और 5 केंद्र शासित प्रदेशों (नई दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर) ने अपने 556 जिलों के 3814 ब्लॉकों में इसे लागू किया हुआ है। उम्मीद है कि 2024-25 तक मिशन सभी ग्रामीण गरीब परिवारों (करीब 9 करोड़) को संगठित कर लेगा।

अब जब इस मिशन को लागू हुए पांच साल चुके हैं और इसे अच्छी सफलता और प्रगति भी हासिल की है तो इस बात को ध्यान में रखते हुए इसका मूल्यांकन किया गया है। इसका मूल्यांकन करने का कार्य निम्नलिखित व्यापक संदर्भों के साथ गुजरात के आणंद में स्थित ग्रामीण प्रबंधन संस्थान (आईआरएमए) को सौंपा गया।

  1. मिशन द्वारा अपनाई गई मुख्य क्रियाएं, घटकों, लागू किए जाने के तौर-तरीकों, प्रणाली, रणनीतियों और महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं का मूल्यांकन
  1. सामाजिक समावेश, संस्था निर्माण, वित्तीय समावेश, आजीविका के स्तर में बढ़ोतरी और अधिकार एवं अभिसरण जैसे विभिन्न घटक क्षेत्रों में मिशन द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं और परिणामों का आकलन करना
  2. जिन समुदायिक संस्थानों को प्रोस्साहन दिया गया है उनके कामकाज का अध्ययन करना;
  3. प्रारंभिक परिणामों / हस्तक्षेप के प्रभावों का आकलन करने के लिए; तथा
  4. ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई) की रणनीति, कार्य करने के तौर-तरीकों और मध्यवर्ती प्रभावों का आकलन करना।

मिशन की रणनीति, कार्य करने के तौर-तरीकों, प्रणालियों, व्यवस्थाओं, ढांचे के अध्ययन के लिए आईआरएमए ने कई तरीके अपनाएं। अध्ययन जुलाई 2016 से जनवरी 2017 के बीच आठ राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, जम्मू कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, नगालैंड और तमिलनाडु में किया गया।

अध्ययन दर्शाता है कि एनआरएलएम के अंतर्गत आने वाले परिवारों हैं:

  1. शामिल न किए गए क्षेत्रों के मुकाबले पशुधन संपत्तियों की उच्च संख्या;
  2. उच्च ऋण का आकार (असम्मिलित क्षेत्रों के ऋण आकार से 67 प्रतिशत ज्यादा) और औपचारिक वित्तीय स्त्रोतों से उधार लेने की संभावना;
  3. भोजन की खपत पर कम और शिक्षा पर ज्यादा खर्च करना. हालांकि परिवार का कुल खपत खर्च शामिल किए गए और शामिल न किए गए क्षेत्रों में एकसमान है।
  4. मुख्यत: उद्यमों से आय के कारण असम्मिलित क्षेत्रों में परिवारों की तुलना में 22 प्रतिशत उच्च (शुद्ध) आय,

कुल मिलाकर रिपोर्ट यह बताती है कि मिशन ब्लॉक तक के स्तर पर सहयोग देने में सफल रहा। इसके बाद कई राज्य मिशनों ने अपनी स्थानीय स्थितियों के हिसाब से इसे लागू करने की रणनीति में बदलाव किए। रिपोर्ट में स्व सहायता समूहों, महासंघों के प्रोत्साहन में तेज वृद्धि और बैंक क्रेडिट के वितरण में बढ़ोतरी को देखा गया है। इस कार्यक्रम का सबसे अधिक प्रभाव महिला सशक्तिकरण, सूक्ष्म वित्त पोषण तक पहुंच, पशुधन उत्पादन में वृद्धि और उच्च लागत ऋण में कमी के रूप में पड़ा जबकि इसका प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन पर कम प्रभाव पड़ा। कृषि उत्पादन और बुनियादी ढांचे का विकास में वृद्धि देखने को मिली।

इसके अलावा रिपोर्ट में मिशन को और बेहतर बनाने के लिए कई सिफारिशें भी की गई हैं जैसे – 1. प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के महासंघों को बढ़ावा देने की गति को तेज करना चाहिए और इन्हें उपयुक्त अधिनियमों के तहत पंजीकृत होना चाहिए; (2) कुछ राज्यों में सामाजिक अनुक्रमिक मॉडल के बाद आजीविका प्रोत्साहन ने अच्छा कार्य किया है, इन दोंनों को सामूहिक कार्रवाई के सिद्धांतों पर पर्याप्त महत्व देते हुए साथ साथ चलाया जा सकता है, 3. मूल्य श्रृंखला के विकास और स्थायी उद्यमों के निर्माण में लगातार प्रयास किए जाने चाहिए. 4. सतत आजीविका के प्रोत्साहन में आजीविका क्षेत्र में अग्रणी संस्थाओं के अनुभव का लाभ उठाना चाहिए। 5. सिस्टम्स (एचआर, एमआईएस और वित्तीय प्रबंधन) को सभी राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों में मजबूत बनाए जाने की जरूरत है। अनुभवी पेशेवर जनशक्ति को भी बनाए रखा जाना चाहिए।

रिपोर्ट से यह भी निष्कर्ष निकलता है गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में सबसे महत्वपूर्ण होने के कारण डीएवाई-एनआरएलएम से अपेक्षाएं भी काफी ज्यादा हैं। ऐसे में मिशन को लागू करने वाल संस्था और समुदाय आधारित संगठनों की तरफ से उच्च स्तरीय वित्त एवं वचनबद्धता की आवश्यकता है।

पूरी रिपोर्ट www.aajeevika.gov.in पर प्रकाशित कर दी गई है।     

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