18 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

आओ करें ‘रक्तदान’

उत्तर प्रदेश

स्वेच्क्षा से करो रक्त दान जीवन बचाओ करो नेक काम

दोस्तों! आपको यह तो पता ही होगा कि रक्तदान एक महान दान है जो नवजीवन प्रदान करता है और इसी महान संदेश को जन-जन तक पहुंचाने हेतु 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है | इसका मतलब यही है कि जब भी जिस व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता हो उसकी रक्तदान कर मदद की जाये | आप जानते ही होगें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए 14 जून को ही विश्व रक्तदाता दिवस के तौर पर क्यों चुना ! दरअसल कार्ल लेण्डस्टाइनर (जन्म- 14 जून /1868- मृत्यु-26 जून 1943) नामक अपने समय के विख्यात ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और भौतिकीविद् की याद में उनके जन्मदिन के अवसर पर यह दिन तय किया गया है| इन्होंने रक्त में अग्गुल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्त का अलग अलग रक्त समूहों – ए, बी, ओ में वर्गीकरण करके चिकित्साविज्ञान में मानवताहित में लोक कल्याण हेतु अपना अहम योगदान दिया और इसी दिन विश्वभर में लोग स्वेच्क्षा से रक्तदान करते हैं लेकिन विडम्बना यह है कि जिस हिसाब से करना चाहिये उस हिसाब से आज भी लोग स्वेच्छित रक्तदान करने से हिचकिचाते हैं पर यह सोच उनकी तब बदल जाती है जब कोई उनका अपना रक्त की कमी से जूझ रहा होता है | आज भी देश का रक्तदाता उतना जागरूक नहीं हो पाया है जितना सही मायनों में होना चाहिये | बहुत दु:ख के साथ लिखना पड़ रहा है कि यह दुर्दशा हमारे समाज की दकियानूसी विकृत मानसिकता का ही परिणाम है जो आज भी भारत में हर साल 15 लाख लोगों की रक्त की कमी के कारण मौत हो जाती है और कई दुर्घटनाओं में रक्त की समय पर आपूर्ति न होने के कारण अकाल काल के गाल में समा जाते हैं जो बहुत ही दुखद बात है | हम इतने भी मॉर्डन और हाई-फाई न हो जायें कि दया जैसा सदगुण हमसे दूर हो जाये | दोस्तों विकास पैसे की अमीरी को ही नही कहते विकास तो मानसिकता की ऊंचाई को कहते हैं | दोस्तों! हम इंसान आज पाषाण हो चुके हैं कि आज इंसान को ही इंसान का रक्त खरीदना पड़ रहा है | दोस्तों! आज भी स्वेच्छा से रक्तदान के आकड़े संतोषजनक नहीं है जो बहुत ही गम्भीर बात है | अपने देश में विकास की हालत का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक देश में एक भी केंद्रीयकृत रक्त बैंक की स्थापना नहीं हो सकी है जिसके माध्यम से पूरे देश में कहीं पर भी खून की जरूरत को पूरा किया जा सके | रक्तदान में सबसे बड़ा पेच है रक्त का व्यापार | सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि देश-दुनिया में सर्वप्रथम रक्त का ये व्यापार बन्द हो | हर साल 14 जून को ‘रक्तदाता दिवस’ मनाया जाता है जिसका 1997 में यही लक्ष्य रखा गया था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को ही बढ़ावा देगें जिससे कि रक्त की जरूरत पड़ने किसी भी दुखी और पीड़ित व्यक्ति को उसके लिए पैसे देने की जरूरत न पड़े पर अब तक लगभग 49 देशों ने ही इस पर अमल किया है। तंजानिया जैसे देश में 80 प्रतिशत रक्तदाता पैसे नहीं लेते परन्तु कई देशों जिनमें भारत भी शामिल है जहाँ रक्तदाता पैसे लेता है जोकि बेहद शर्मनाक बात है | हम धन में बढ़ गये पर ईमान से गिर गये | हमारा देश का डीएनए तो दाता डीएनए रहा है पर आज यह देने की सोच विलुप्ति की कगार पर खड़ी है | दोस्तों! रक्तदान करने वाले राज्यों की सूची में म.प्र. की में रक्त दान प्रतिशत की बात करें तो वर्ष 2006 में 56.2 प्रतिशत, वर्ष 2007 में 65.17 प्रतिशत, वर्ष 2008 में 68.75 प्रतिशत के लगभग रहा और हरियाणा की स्थति में इजाफा हुआ जिसमें अब तक के सर्वाधिक 210 यूनिट का रिकॉर्ड 256 के साथ तोड़ दिया जो कि काबिले तारीफ है | केवल चूरू का यह आंकड़ा 80 प्रतिशत तक का है। यूथ वर्ग अपनी मर्जी से रक्त दान कर रहे हैं | 2005 में 266, 2006 में 171, 2007 में 216 और 2008 में 370 यूनिट रक्त विभिन्न शिविरों के माध्यम संग्रहित किया गया था। चुरू में तो 2015 में ही सात हजार 219 रक्तदाता ने रक्तदान किया | बाकि सब पिछड़े हैं | भारतवर्ष की कुल आबादी की एक प्रतिशत जनसंख्या भी रक्तदान नहीं करती | रक्तदान के मामले में थाईलैण्ड में 95 फीसदी, इण्डोनेशिया में 77 फीसदी और बर्मा में 60 फीसदी हिस्सा रक्तदान से पूरा होता है। भारत में मात्र 46 लाख लोग स्वैच्छिक रक्तदान करते हैं। इनमें महिलाएं मात्र 06 से 10 प्रतिशत हैं। दोस्तों ! यह है रक्त दान के प्रश्न खड़े करने वाले आकंडे | आज भी हमारे देश के बड़े शहरों में ब्लड बैंक हैं पर छोटे शहरों, जिलों में ब्लड बैंक नहीं हैं और गांवों की स्थिति तो और भी खराब हैं जहां का हर पीड़ित अच्छे डाक्टर और सही इलाज की बस शदियों से बांट जौह रहे हैं पर गांव का गरीब आज भी झोलाझाप डॉक्टर के भरोसे जिंदगी की जंग लड़ रहा है जो बहुत गम्भीर और दुखद पहलू है | यह भी सच हम झुठला नही सकते कि देश के कुछ गाँव एक तबका बेहद पिछड़ा है जहाँ विकास की रोशनी शायद ही कभी पहुंचे | देश के कुछ लोगों की सोच की हठ्धर्मिता इस हद तक है कि फिल्मी सितारों को टीवी व रेडियो से कहना पड़ता है कि कृपया खुले में शौच न जायें | कृपया आस-पास सफाई रखें| यह बात भी हमे टीवी कलाकार सिखा रहे बता रहे |इससे ज्यादा देश की दुर्दशा और क्या हो सकती है| आजादी के इतने सालों बाद भी हमारी सोच कितनी उन्नत हुई है मुझे लिखने की आवश्यकता नही आप सभी समझदार हैं जब शदी के महानायक अमिताभ बच्चन और फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन को कहना पड़ रहा कि घर में शौचालय बनाओ और उपयोग करो | यह तो स्थिति है देश की | हद तो यह है कि फिर भी कुछ लोग जस के तस चिकने घड़े बने जड़ अवस्था में पड़े हैं | उनको कौन सुधारे ? देश में आज बहुत जागरूकता फैलाने की सोये को जगाने की एक बड़ी मुहिम की आवश्यकता है | दोस्तों ! जागरूकता के लिये पहल हमें और आप को स्वंय से अपने घरों, गली, मोहल्लों से ही करनी होगी तभी कुछ सुधार हो सकेगा | विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है कि यदि देश में 5 प्रतिशत लोग स्वेच्छित रक्तदान करें तो काफी हद तक रक्त की पूर्ति हो सम्भव हो सकती है | अगर देश के उच्चपदाशीन नेता और मंत्री लोग रक्तदान कैम्प में आकर सभी का उत्साहबर्धन करें तो निश्चित ही देश में रक्त दान के प्रति लोगों की सोच सुधरे और अगर देश के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्रनाथ दामोदरदास मोदी जी जनता में यह संदेश दें कि रक्तदान करने से कोई खतरा नहीं बल्कि यह शरीर को रोगमुक्त रखता है तो प्रधानमंत्री जी की बात का समाज में गहरा असर होगा | क्योंकि रक्तदान के प्रति जागरूकता प्रचार और प्रसार से ही लायी जा सकती है जो आज बहुत जरूरी है जिससे समाज में रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और लोगों की सोच सकारात्मक हो सकेगी |क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी क़रीब 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज़ दम तोड़ देते हैं। भारत की आबादी भले ही सवा अरब पहुंच गयी हो पर रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं पहुंच पाया जो बहुत दु:खद है | अत: यह पहल हम और आपको ही करनी होगी क्योंकि असमय दुर्धटना और बीमारी का शिकार कोई भी हो सकता है जिससे पीड़ित को उसी समय मदद मिल सके और उसका जीवन बच सके| इसकी शुरूवात की रेखा हम और आपके सोच के केन्द्र से ही होकर ही गुजरती है | आज भी ऐसे बहुत नेक लोग मौजूद हैं जो समाज में जो रक्तदान की विश्व व्यापी मुहिम चला रहें हैं और जिसको भी रक्त की आवश्यकता है उसको रक्त मुहैया कराते हैं | ऐसी ही नोयड़ा की कुशल डाक्टर और महान समाज सेविका आदरणीय रेनू वर्मा जी हैं जो वोल्युन्टियर ब्लड डोनर नाम का ग्रुप बनाकर हर रक्तपीडित की निशुल्क मदद कर रही हैं जो हमारे समाज के लिये आदर्श डाक्टर है जिनके जागरूकता अभियान ने 29 मई में नोयड़ा में लगे कैम्प में करीब 220 लोगों ने रक्त दान किया तो आइये हम सब भी नुक्कड़ नाटक के जरिये, बस में ट्रेन में , सोसल साईट्स पर लोगों को जागरूक करें कि रक्त दान से कोई कमजोरी नहीं आती बल्कि रक्त दान करने वाला सदा निरोगी रहता है और उसे हृ्दय की कभी कोई बीमारी नहीं होती और उस व्यक्ति को कभी कैंसर नही हो सकता | रक्तदान करने से आयरन का लेवल कम हो जाता है और कैंसर का खतरा 95 प्रतिशत कम हो जाता है। एक सामान्य मनुष्य में पांच से छह लीटर रक्त होता है। रक्तदान के दौरान मात्र 300 मिलीलीटर रक्त लिया जाता है। शरीर इस रक्त की आपूर्ति मात्र 24 से 48 घंटे में कर लेता है। दोस्तों ! प्रत्येक मनुष्य के शरीर में उसके वजन का सात प्रतिशत रक्त होता है। आधा लीटर रक्त तीन जिंदगियाँ बचा सकता है।

दोस्तों यही जागरूकता हम सब मिलकर अपने दोस्तों और समाज में अपने-अपने तरीके से सभी तक पहुंचा सकते हैं | आपका एक मेसेज, एक सही कदम समाज में क्रांति ला सकता है जिससे देश में एक बड़ा बदलाव सम्भव है | जिससे किसी का भी अनमोल जीवन बचाया जा सकता है | दोस्तों! आपके द्वारा की गयी चर्चा से किसी का जीवन बच सकेगा क्योंकि किसी के जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण और कुछ भी नहीं हो सकता |

रक्तदान की करें हम चर्चा
मन से दूर हों सब आशंका

आईये करें हम रक्तदान
जीवन सुन्दर बने महान

आकांक्षा सक्सेना

(लेखिका ब्लॉगर ‘समाज और हम’, फिल्म सा. डाईरेक्टर, स्टोरी राईटर,सोसल वर्कर,न्यूज ऐडीटर ‘सच की दस्तक मैग्जीन’ व  स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं |)

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More