नई दिल्लीः पूर्वोत्तर के 14 जिलों को ‘आकांक्षापूर्ण विकास’ के लिए चिह्नित किया गया है। ये 14 जिले देशभर के 106 जिलों से अलग हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दिशा-निर्देश के तहत नीति आयोग के तत्वावधान में ‘आकांक्षापूर्ण जिलों का रूपातंरण’ कार्यक्रम के लिए चुना गया है। आज यहां पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक-शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस उद्देश्य के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों तथा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक के बाद यह बताया। बैठक में पूर्वोत्तर से संबंध रखने वाले दो वरिष्ठ मंत्री, गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू और रेल राज्य मंत्री श्री राजेन गोहेन भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के उद्देश्य और लक्ष्य की जानकारी देते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत उच्च विकास दर की राह पर है। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों की विविधता को देखते हुए राज्य स्तर और जिला स्तर पर कई तरह के अंतर पाए जाते है। विभिन्न जिलों के समान विकास को ध्यान में रखते हुए ‘आकांक्षापूर्ण जिलों’ के तौर पर रूपातंरण के लिए जिलों को चिह्नित किया गया है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के मामले में भौगोलिक और जलवायु संबंधी अनेक घटक मौजूद हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने हाल ही में ‘पूर्वोत्तर पहाड़ी विकास कार्यक्रम’ की शुरूआत की है। पायलट परियोजना के तौर पर इसे मणिपुर में शुरू करने का फैसला किया गया है, ताकि वहां विभिन्न जिलों में समान विकास संभव हो सके।
उल्लेखनीय है कि ‘आकांक्षापूर्ण जिलों के रूपातंरण’ कार्यक्रम के तहत 14 जिलों में असम के ढोबरी, गोलपाड़ा, बारपेटा, दर्रांग, बकसा, उदालगुरी और हैलाकांडी; त्रिपुरा का ढलाई; मेघालय का रिबहोई; अरुणाचल प्रदेश का नमसाई; मणिपुर का चंदेल; मिजोरम का मामिट; नगालैंड का किफायर और सिक्किम का वेस्ट सिक्किम जिला शामिल है। कार्यक्रम की पूरी अवधारणा इस समझ पर आधारित है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद का विकास तभी संभव होगा जब सभी राज्यों के समस्त क्षेत्र और जिलेयुक्ति संगत विकास दर से आगे बढ़ेगे। इसके अभाव में अगर देश का एक भाग तेजी से विकास करता है तो दूसरे जिलों में विकास दर मामूली स्तर पर बनी रहेगी।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि इस परियोजना के लिए एक विस्तृत रोड़-मैप तैयार कर लिया गया है। संबंधित जिले की स्थिति, स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और कृषि जैसे घटकों के आधार पर तय की जाएगी। मैदानी सर्वेक्षण की प्रक्रिया जारी है।
आज की बैठक में पहले चरण की एक विस्तृत रूपरेखा पर चर्चा की गई, जिसमें प्रत्येक जिले में मैदानी सर्वेक्षण किया जाएगा। प्रत्येक जिले के लिए चार स्तरीय निरीक्षण प्रणाली तैयार कर ली गई है, जिसके लिए केन्द्र सरकार से एक केन्द्रीय नोडल अधिकारी, संबंधित राज्य से एक राज्य नोडल अधिकारी, एक जिला नोडल अधिकारी/जिला अधिकारी और केन्द्र से एक प्रभारी मंत्री को नियुक्त किया गया है।
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