नई दिल्लीः आईएफएफआई गोवा, 2017 के 5वें दिन की शानदार शुरूआत वर्चुअल रियलिटी पर मास्टर क्लास कार्यक्रम के साथ हुई जिसमें आनंद गांधी ने आभासी वास्तविकता (वर्चुअल रियलिटी) विषय पर छात्रों को जानकारी दी। आनंद गांधी अवंत-गर्दे मिमिसिस कल्चर लैब के प्रमुख हैं जिससे फिल्म-निर्माता, लेखक, दार्शनिक और विश्व-स्तरीय वीआर निर्माता जुड़े हुए हैं।
इस साल फरवरी में आनंद गांधी और उनकी टीम ने अपनी परियोजना प्रदर्शित की। इस परियोजना का नाम एल्स वीआर है जो वीआर वृत्तचित्र और वीडियो का संग्रह है। वीडियो छोटी अवधि के हैं। (लगभग 2 से 8 मिनट की अवधि वाले) परन्तु इन वीडियो में कहानियां, साक्षात्कार और निबंध हैं जो संदर्भ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अब तक 8 वर्चुअल रियलिटी वृत्तचित्रों का निर्माण किया है जो विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में प्रदर्शित हुए हैं।
आनंद कहते हैं कि हम लोग तेजी से विज्ञान की काल्पनिक कहानियों के युग में आगे बढ़ रहे हैं। तकनीक का निरंतर विकास हुआ है-चित्रकला से फोटोग्राफी, फिर वीडियो से अब वीआर तक। इसी तरह सिनेमा ने भी पीढियों के साथ प्रगति की है। नए फिल्मकार सामने आते हैं और नई शुरूआत करते हैं। आप क्या संग्रह कर सकते हैं और किन चीज़ों का त्याग कर सकते हैं-जीवन इसी का नाम है।
हमारा विचार यह था कि कहानियों और तस्वीरों को वर्चुअल रियलिटी में लाया जाए ताकि दर्शकों को कहानी में प्रवेश का मौका मिले। हम वास्तविकता को जिस प्रकार देखते हैं वर्चुअल रियलिटी ने उस तरीके को बदल दिया है। इससे उपयोग करने वाले का अनुभव, जहां तक संभव हो सके, वास्तविक हो गया है। अनुभव और तस्वीरों का उपयोग करके ऐसी रचना की जाती है जिससे दर्शक विषय-वस्तु को भली-भांति समझ सकें। वर्चुअल रियलिटी एक ऐसा उपकरण है जिसमें हम रिकॉर्डों और यादगार पलों को भावी-पीढी के लिए संरक्षित कर सकते हैं। यह कहानी कहने की तकनीक में विविधता लाता है और जीवन के अनुभव को समृद्ध बनाता है। यह समय और स्थान को संक्षिप्त करने में मदद करता है। आईएफएफआई का 48वां संस्करण 20 से 28 नवंबर 2017 तक गोवा में आयोजित किया गया है।