नई दिल्ली: आपदा जोखिम न्यूनीकरण डेटाबेस तैयार करने के लिए आज यहां एक राष्ट्रीय कार्यशाला प्रारंभ हुई। कार्यशाला का आयोजन यूनीसेफ, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र आपदा न्यूनीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय रणनीति (यूएनआईएसडीआर) के सहयोग से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने किया है। इस कार्यशाला का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर आपदा डेटाबेस विकसित करना है।
दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न हित धारकों के बीच सर्वसम्मति विकसित करना तथा डेटा संग्रह, अद्यतन और सत्यापन के लिए मानक प्रणाली विकसित करना है। ऐसा डेटाबेस, सेंडई फ्रेमवर्क के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में हुई प्रगति को समझने में सहायता प्रदान करेगा।
एक बार तैयार होने के पश्चात यह डेटाबेस वास्तविक समय में असंगत डेटा प्रदान करने में सक्षम होगा। इससे साक्ष्य तैयार करने और विशलेषण करने में मदद मिलेगी।
एनडीएमए के सदस्य श्री आर के जैन ने कहा ‘’राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन सूचना प्रणाली विकसित करने के दिशा में यह पहला कदम है।‘’ राहत और पुनर्वास, नीति हस्तक्षेप, योजना तथा अनुसंधान के संदर्भ में यह विभिन्न हित धारकों को वास्तविक समय पर जानकारी उपलब्ध करायेगा।
इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक श्री यूरी अफांसीव ने भारत जैसे विशाल देश में आपदाओं के प्रभावों को समझने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित डेटाबेस को विभिन्न विकास कार्य योजनाओं और लक्ष्यों से जोड़े जाने की आवश्यकता है ताकि नीति निर्माता विश्वसनीय सूचना प्राप्त कर सकें, इसका विशलेषण कर सके और निर्णय लेने के लिए निष्कर्ष तक पहुंच सकें।
‘’आपदा सूचना तथा क्षति पर डेटा प्रबंधन प्रणाली’’ विषय पर आधारित तकनीकी सत्र की अध्यक्षता एनडीएमए के सदस्य सेवा निवृत्त लेफ्टिनेंट जर्नल एन.सी. मारवाह ने की। इस सत्र में ऐसे डेटाबेस बनाने, व्यवस्थित करने तथा उपयोग करने की चुनौतियों पर चर्चा हुई। सत्र में वैश्विक अनुभव और सर्वोत्तम अभ्यासों पर भी चर्चा हुई।
‘’राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर आपदा के रूप में एक घटना को डीआरआर डेटाबेस में दर्ज करना’’ विषय पर आधारित दूसरे सत्र की अध्यक्षता एनडीएमए के सदस्य श्री कमल किशोर ने की। इस सत्र में डेटा संग्रह, डेटा स्रोत तथा डेटा के संचालन और रख रखाव आदि मुद्दों पर चर्चा हुई।
एनडीएमए के अधिकारी, संबंधित मंत्रालयों तथा विभागों के प्रतिनिधि, राज्य सरकारें, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां, प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान, आपदा प्रबंधन संस्थान व विश्वविद्यालय इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं।