नयी दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआर्इ) बैंक खातों को आधार से लिंक करने की अनिवार्यता को लेकर सूचना अधिकार (आरटीआर्इ) के तहत पूछे गये सवाल में दिये गये जवाब से यूटर्न ले लिया है. उसने शनिवार को मीडिया की उन खबरों को खारिज कर दिया है, जिसमें एक आरटीआर्इ के हवाले से यह कहा जा रहा था कि केंद्रीय बैंक ने बैंक खातों को आधार से लिंक करने के मामले को अनिवार्य नहीं बताया है. शनिवार को आरबीआई ने कहा है कि बैंक खातों को आधार से लिंक करना धन-शोधन निवारण (रिकॉर्ड रखरखाव) द्वितीय संशोधन नियम, 2017 के तहत अनिवार्य है.
जारी एक बयान में आरबीआर्इ ने यह साफ करते हुए कहा है कि नियम लागू होने वाले मामलों में आधार को बैंक खाते से जोड़ना धन-शोधन निवारण (रिकॉर्ड रखरखाव) द्वितीय संशोधन नियम, 2017 के तहत अनिवार्य है. उसने यह भी कहा कि बैंक खातों को 12 नंबर के आधार नंबर से जोड़ने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तक है. आरबीआई ने यह भी कहा है कि जून, 2017 में धन-शोधन निवारण नियमों की घोषणा के साथ इसे वैधानिक बल भी मिला है. बैंकों को इन निर्देशों का पालन अगले आदेश मिलने तक करना है.
सरकार की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी परियोजना आधार कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा बॉयोमेट्रिक पहचान पत्र प्रोग्रम है, जो हर नागरिक की गोपनीयता बनाये रखने का दावा करता है. इसके साथ ही, इसे नागरिकों की राष्ट्रीय पहचान के रूप में भी एक महत्वपूर्ण डिजिटल दस्तावेज माना जा रहा है. हालांकि, इस मामले को लेकर अभी सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यी पीठ की आेर से सुनवार्इ भी जारी है. पिछले अगस्त महीने में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार का बैंक खातों से लिंक करना अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक व्यवस्था है आैर यह गोपनीयता एक मौलिक अधिकार है.
गौरतलब है कि शुक्रवार को मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, आरटीआई कार्यकर्ता योगेश सपकाले की अर्जी के जवाब में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने 1 जून, 2017 को गजट नोटिफिकेशन क्रमांक जीएसआर 538 (ई) जारी किया था. इसमें बैंक खाता खोलने के लिए आधार और पैन कार्ड को अनिवार्य बनाया गया है. इसमें रिजर्व बैंक की कोई भूमिका नहीं है.