नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्तुत किया।
आर्थिक सर्वेक्षण में 10 नए आर्थिक तथ्यों पर प्रकाश डालने के लिए नए आंकड़ों के विश्लेषण पर भरोसा जताया गया है :
1. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया परिप्रेक्ष्य दिया है और नए आंकड़े उभर कर सामने आए हैं। अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी तरह स्वैच्छिक पंजीकरण, विशेषकर वैसे छोटे उद्यमों द्वारा कराए गए पंजीकरण में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जो बड़े उद्यमों से खरीदारी करते हैं, क्योंकि ये स्वयं भी इनपुट टैक्स क्रेडिट से लाभ उठाना चाहते हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि नई प्रणाली अपनाने से प्रमुख उत्पादक राज्यों के कर संग्रह में कमी आने की आशंका निराधार साबित हुई है, क्योंकि राज्यों के बीच जीएसटी आधार के वितरण को उनकी अर्थव्यवस्थाओं के आकार से जोड़ दिया गया है।
इसी तरह नवम्बर, 2016 से लेकर अब तक व्यक्तिगत आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में लगभग 18 लाख की वृद्धि दर्ज की गई है।
2. भारत का औपचारिक क्षेत्र, विशेषकर औपचारिक गैर-कृषि पे-रोल को वर्तमान अनुमान की तुलना में बहुत अधिक पाया गया है। यह स्पष्ट हुआ है कि जब सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों जैसे कि ईपीएफओ/ईएसआईसी की दृष्टि से ‘औपचारिकता’को परिभाषित किया गया, तब औपचारिक क्षेत्र से जुड़े पे-रोल को गैर-कृषि श्रम बल का लगभग 31 प्रतिशत पाया गया। जब ‘औपचारिकता’ को जीएसटी दायरे का हिस्सा होने की दृष्टि से परिभाषित किया गया, तब इस तरह के औपचारिक क्षेत्र संबंधी पे-रोल की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत पाई गई।
3. भारत के इतिहास में पहली बार राज्यों के अंतर्राष्ट्रीय निर्यात से जुड़े आंकड़ों को आर्थिक सर्वेक्षण में परिलक्षित किया गया है। इन आंकड़ों से निर्यात प्रदर्शन और राज्यों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर के बीच मजबूत आपसी जुड़ाव के बारे में संकेत मिलता है। वैसे राज्य जो अंतर्राष्ट्रीय निर्यात करते हैं और अन्य राज्यों के साथ व्यापार करते हैं, वे अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध अधिक पाए गए हैं। इस तरह का आपसी जुड़ाव खुशहाली और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बीच कहीं अधिक पाया गया है।
4. भारत से होने वाला निर्यात इस दृष्टि से आसमान्य है कि निर्यात में सबसे बड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत बहुत कम पाई गई है, जबकि अन्य तुलनीय राष्ट्रों में इसके विपरीत स्थिति देखी जा रही है। निर्यात में शीर्ष एक प्रतिशत भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी केवल 38 प्रतिशत आंकी गई है, जबकि ठीक इसके विपरीत कई देशों में इन शीर्ष कंपनियों की हिस्सेदारी बहुत अधिक पाई गई है (ब्राजील, जर्मनी, मेक्सिको और अमेरिका में क्रमश: 72, 68, 67 और 55 प्रतिशत हिस्सेदारी है)। शीर्ष 5 अथवा 10 प्रतिशत भारतीय कंपनियों के मामले में भी कुछ इसी तरह की स्थिति देखी जा रही है।
5. इस ओर ध्यान आकर्षित किया गया है कि राज्यों के शुल्कों में छूट (आरओएसएल) से सिले-सिलाए परिधानों (मानव निर्मित फाइबर) का निर्यात लगभग 16 प्रतिशत बढ़ गया है, जबकि अन्य के मामलों में ऐसा नहीं देखा गया है।
6. आंकड़ों के जरिए इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला गया है कि भारतीय समाज में लड़कों के जन्म के प्रति तीव्र इच्छा दिखाई जाती है। आर्थिक सर्वेक्षण में इस ओर भी ध्यान दिलाया गया है कि अधिकतर माता-पिता तब तक बच्चों की संख्या बढ़ाते रहते हैं, जब तक कि उनके यहां जन्म लेने वाले लड़कों की संख्या अच्छी-खासी नहीं हो जाती है। सर्वेक्षण में विभिन्न तरह के परिदृश्य का विवरण दिया गया है, जिससे बालक-बालिका अनुपात के अपेक्षाकृत कम रहने का पता चलता है। इसके साथ ही आर्थिक सर्वेक्षण में भारत और इंडोनेशिया में जन्म लेने वाले बालक-बालिका अनुपात की भी तुलना की गई है।
7. सर्वेक्षण में यह बात भी रेखांकित की गई है कि भारत में कर विभागों ने कई कर विवादों में चुनौती दी है, लेकिन इसमें सफलता की दर भी कम रही है। यह दर 30 प्रतिशत से कम आंकी गई है। लगभग 66 प्रतिशत लंबित मुकदमे दांव पर लगी रकम का केवल 1.8 प्रतिशत हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि 0.2 प्रतिशत मुकदमे दांव पर लगी रकम का 56 प्रतिशत हैं।
8. आंकड़ों का विवरण देते हुए आर्थिक सर्वेक्षण में इस ओर ध्यान दिलाया गया है कि बचत में वृद्धि से आर्थिक विकास नहीं हुआ, जबकि निवेश में वृद्धि से आर्थिक विकास निश्चित तौर पर हुआ है।
9. आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारतीय राज्यों और अन्य स्थानीय सरकारों, जिन्हें कर संग्रह का अधिकार दिया गया है, का प्रत्यक्ष कर संग्रह अन्य संघीय राष्ट्रों के समकक्षों की तुलना में बहुत कम पाया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण में भारत, ब्राजील और जर्मनी में स्थानीय सरकारों के प्रत्यक्ष कर-कुल राजस्व अनुपातों की तुलनात्मक तस्वीर पेश की गई है।
10. आर्थिक सर्वेक्षण में भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन दर्शाने वाले स्थलों और इसके कारण कृषि पैदावार पर हुए व्यापक प्रतिकूल असर को भी रेखांकित किया गया है। तापमान में हुई अत्यधिक बढ़ोतरी के साथ-साथ बारिश में हुई कमी को भी भारतीय नक्शे पर दर्शाया गया है। इसके साथ ही इस तरह के आंकड़ों से कृषि पैदावार में हुए परिवर्तनों को भी ग्राफ में दर्शाया गया है। इस तरह का असर सिंचित क्षेत्रों की तुलना में गैर-सिंचित क्षेत्रों में दोगुना पाया गया है।
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