नई दिल्लीः भारतीय रेल ने बिजली और डीजल से चलने वाले इंजनों की परिचालन क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए नवीन विश्लेषणात्मक उपाय शुरू किए हैं। इसके तहत ऐसे इंजनो के परिचालन की समय सारिणी के लिए अंक गणना के आधार पर विकसित सॉफ्टवेयर का तैयार किया गया है।
भारतीय रेल के पास देशभर में बिजली और डीजल से चलने वाले यात्री रेल इंजनों की कुल संख्या 3300 है। यात्री रेलगाड़ियों में इन इंजनों का इस्तेमाल एक पूर्व निर्धारित समय सारिणी के अनुसार किया जाता है जिन्हें लोकोमोटिव लिंक कहा जाता है। अभी तक यह समय सारिणी रेलवे के सभी 16 जेान द्वारा अपने हिसाब से हाथ से तैयार की जाती थी लेकिन अब इसके लिए बाकायदा एक साफ्टवेयर तैयार किया गया है।
लवे बोर्ड के ट्रांसफॉर्मेशन सेल द्वारा एक पायलट योजना के तहत रेलवे के सभी 16 जोन ने मिलकर इसकी शुरुआत की है। इसके जरिए लोकोमोटिव लिंक का पुनर्गठन किया गया है। इससे यात्री रेलगाडि़यों में प्रयुक्त होने वाले (लगभग 720 करोड़ रुपये की लागत वाले ) 30 डीजल और 42 इेलेक्ट्रिक इंजनों की बचत होगी जिनका इस्तेमाल आगे मालगाड़ियों को चलाने में और रेलवे के लिए अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने के लिए किया जा सकेगा।
यात्री रेलगाडि़यों के परिचालन समय में अक्सर होने वाले परिवर्तनों,नयी रेलगाड़ियां शुरु होने तथा कयी रेल मार्गों का विद्युतिकरण होने की वजह से यात्री रेलगाड़ियों की समय सारिणी बनाना एक बेहद जटिल काम होता है लिहाजा रेल मंत्रालय ने इस बात को ध्यान में रखते हुए 2018-19 के बजट में यात्री रेलगाड़ियों में डीजल और बिजली के इंजनों के इस्तेमाल की नवीन विष्लेषणात्मक प्रणाली को सीआरआईए द्वारा संस्थागत स्तर पर विकसित करने और क्रियान्वित करने की परियोजना के लिए आवंटन किया है।