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इंदिरा गाँधी नेशनल फाॅरेस्ट अकादमी, देहरादून में आई.एफ.एस प्रोबेशनर कोर्स 2015-17 दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुएः राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल

इंदिरा गाँधी नेशनल फाॅरेस्ट अकादमी, देहरादून में आई.एफ.एस प्रोबेशनर कोर्स 2015-17 दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुएः राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल
उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखण्ड के राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल ने इंदिरा गाँधी नेशनल फाॅरेस्ट अकादमी, देहरादून में आई.एफ.एस प्रोबेशनर कोर्स 2015-17 के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित किया।
वनों को न काटने से मिलने वाले लाभों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ने के बावजूद दुनियाभर में निरन्तर वनों के कटान पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने वन सेवा के अफसरों को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया भर में प्रति वर्ष 13 लाख हेक्टेयर वनों की कटाई की जाती है जो विश्वभर में ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते प्रतिशत का एक बड़ा कारण है। बढ़ती ग्रीन हाउस गैस पृथ्वी के भविष्य के लिए खतरे का संकेत है।
वनों की घटती संख्या की समस्या के निदान के लिए ‘ग्रीन एकाउंटिंग’ प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे पास अभी तक ऐसी कोई प्रणाली उपलब्ध नहीं है जिससे हरित घरेलु उत्पाद से प्राकृतिक संसाधनों के रूप में मिल रही सम्पदा को राष्ट्रीय आय के रूप में प्रतिबिम्बित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि वनों से सबसे अधिक लाभान्वित होने वाले मनुष्य को ‘ग्रीन डोमेस्टिक प्रोडक्ट’ की अवधारणा पर संवेदनशील होना चाहिए। विशेष रूप से उत्तराखण्ड के परिपेक्ष्य में जहाँ 60 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र है।
राज्यपाल ने कहा कि वानिकी का इतिहास यहाँ से शुरू हुआ है। वन सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण दून घाटी से प्राप्त होता है, इसलिए इसे भारतीय वानिकी का गढ़ कहा जा सकता है। यही हिमालय क्षेत्र वन संरक्षण के महान चिपको आन्दोलन का घर भी है।
राज्यपाल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके बावजूद वन और पर्यावरण सम्बन्धी कई समस्याएं उत्तराखण्ड में हैं। यहाँ आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से वनों को बचाने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि बाढ़, सूखा और मिट्टी की घटती उर्वरता से राज्य को सुरक्षित रखने के लिए वन्य संसाधनों पर निर्भरता कम करनी होगी। वन संसाधनों के संरक्षण की भावना को बढ़ाना होगा, क्यांेकि वन संरक्षण ही जीवन को सुरक्षित रखने का एक मात्र उपाय है।
राज्यपाल ने वन संरक्षण के ज्ञान को प्रसारित करने के लिए मजबूत ढाँचागत समर्थन व वैज्ञानिक विधि की आवश्यकता बतायी। जिसमें स्थानीय लोगों की व्यापक भागीदारी महत्वपूर्ण है।
राज्यपाल ने अपनी और प्रदेशवासियों की ओर से भारत के राष्ट्रपति का गर्मजोशी से स्वागत किया जो इस दीक्षान्त समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में एफ.आर.आई पहुँचे हैं।
प्रशिक्षुओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस बार सिविल सेवक दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक कर्मचारियों की राष्ट्र के विकास में भूमिका वर्णित करते हुए एक स्पष्ट रोडमैप दिया गया था। राज्यपाल ने कहा कि मुझे आशा है कि आप सभी यहाँ से सफलतापूर्वक अपना पाठ्यक्रम पूर्ण करके आवंटित राज्यों में प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त अपेक्षाओं के अनुसार ईमानदारी के साथ राष्ट्रविकास के कार्यों में अपना योगदान देेंगे।

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