नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किए जाने के दौरान मौजूदा करदाताओं को विश्वास पर आधारित इनपुट टैक्स क्रेडिट देने की व्यवस्था की गई। करदाता ‘ट्रान-1’ फॉर्म भर सकते हैं और जीएसटी व्यवस्था लागू होने से पूर्व अपने पिछले रिटर्न में उल्लिखित इनपुट टैक्स क्रेडिट की शेष राशि के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट पा सकते हैं। ट्रान-1 फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 27 दिसंबर, 2017 है। स्वैच्छिक अनुपालन की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए ट्रान-1 फॉर्म में संशोधन करने का प्रावधान किया गया है। ट्रान-1 फॉर्म में संशोधन करने की अंतिम तिथि भी 27 दिसंबर, 2017 ही है।
यह जानकारी मिली है कि कुछ करदाता ने सीजीएसटी के तहत काफी ज्यादा संक्रमणकालीन (ट्रांजिशनल) क्रेडिट हासिल कर लिए हैं जो न तो उद्योग के इनपुट टैक्स क्रेडिट के रुझान से मेल खाते हैं और न ही स्वयं करदाता ने पहले कभी इतनी मात्रा में इनपुट टैक्स क्रेडिट बनाए थे। इस तरह के भारी-भरकम इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है अथवा यह प्रामाणिक गलती का मामला हो सकता है। हालांकि, यह भी पाया गया है कि अनेक मामलों में बहुत ज्यादा ट्रांजिशनल क्रेडिट का दावा किया गया है, जिसके लिए संभवत: कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं होगा। इस तरह की यूनिटों के बारे में आवश्यक जानकारी हासिल की जा रही है। इस तरह के रवैये से करदाता और कर प्रशासन के बीच विश्वास भंग होता है, जबकि जीएसटी में स्व–आकलन व्यवस्था का यही आधार है।
इस तरह के भारी-भरकम ट्रांजिशनल क्रेडिट का भूलवश दावा करने वाले करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे 27 दिसंबर, 2017 तक ट्रान-1 फॉर्म में आवश्यक संशोधन कर लें, अन्यथा कर प्रशासन चिन्हित इकाइयों के खिलाफ ऑडिट एवं आवश्यक कार्रवाई करने पर विवश हो जाएगा।