नई दिल्ली: इन-रेजिडेंस कार्यक्रम के अंतर्गत दस नवप्रवर्तन विद्वानों, दो लेखकों और दो कलाकारों ने बुधवार 15 मार्च को राष्ट्रपति भवन परिसर में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने कहा कि इन-रेजिडेंस कलाकार, लेखक एवं नवप्रवर्तन विद्वान हमारे लिए विशेष थे, क्योंकि इनके पास नवप्रवर्तन, संवेदनशील एवं कल्पनाशील सोच है, जो समय, स्थान और आसपास की सीमाओं को लांघा हैं। उन्होंने कहा कि इनकी रचनात्मकता का प्रभाव अनंत है। वह इस बात से अत्यंत खुश थे कि उनके कार्यकाल के दौरान इन-रेजिडेंस कार्यक्रम के अंतर्गत वह प्रतिभागियों को अपनी रचनात्मकता को आगे बढ़ाने का अवसर उपलब्ध करा सके। उन्होंने कहा कि इन-रेजिडेंस कार्यक्रम के कल्पनाशील एवं संवेदनशील प्रतिभागियों ने भारत की आत्मा को बरकरार रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसलिए ये सभी लोग विशेष थे। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इन-रेजिडेंस कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागी जब अपने पैतृक घर वापस जाते हैं, तो वे भारत के प्रति अपने दृष्टिकोण और यहां के लोगों की भलाई एवं संपन्नता के संबंध में नए आयाम विकसित करते हैं।
राष्ट्रपति की सचिव श्रीमती अमिता पॉल ने कहा कि जब राष्ट्रपति ने अपनी जिम्मेदारी को संभाला था, तब राष्ट्रपति का यह दृष्टिकोण था कि नवप्रवर्तन को देश में एक आंदोलन बनना चाहिए। उन्होंने कहा, यह देखना बेहद सुखद था कि उनके दृष्टिकोण को देशभर में महसूस किया जा रहा था एवं उसको साकार करने के प्रयास हो रहे थे। उन्होंने आशा जताई कि नवप्रवर्तन भविष्य में तीव्र गति से आगे बढ़ता रहेगा।
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के कार्यकारी उपाध्यक्ष श्री अनिल गुप्ता ने कहा कि श्री प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान नवप्रवर्तन की एक विरासत तैयार की जा चुकी है और नवप्रवर्तन के क्षेत्र में कार्यरत देशभर के लोगों के बीच एक सकारात्मक संदेश भी जा चुका है।
इन-रेजिडेंस कार्यक्रम में शामिल कई प्रतिभागियों ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि हम राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के आभारी हैं कि उन्होंने सप्ताहभर चले इस इन-रेजिडेंस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए अवसर प्रदान किया। उन्होंने श्री मुखर्जी के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान स्मार्ट ग्राम, समागम, स्पर्श आदि कई पहलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस इन-रेजिडेंस कार्यक्रम ने उनके भीतर सकारात्मक ऊर्जा एवं उत्साह का संचार किया और अपने स्वंय के तरीके से समाज के कल्याण में योगदान करने के लिए उनके मन में सकारात्मक भावना पैदा की। नवप्रवर्तन विद्वानों ने कहा, नवप्रवर्तन आयोजन के दौरान उनकी नवीन भावना और क्षमताओं को बढ़ाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यक्रम ने छात्रवृत्ति को भी बढ़ावा दिया, जिसकी वजह से इस कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से शामिल नवप्रवर्तन विद्वान, कलाकार आदि शामिल हो सके और आपस में सभी प्रतिभागियों को एक-दूसरे से बातचीत करने का अवसर प्राप्त हुआ।