नई दिल्ली: भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के प्रशासन के अधीनस्थ एनर्जी एफिसिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) 10,000 इलेक्ट्रिक वाहन टाटा मोटर्स लिमिटेड से खरीदेगी। इस कंपनी का चयन एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये किया गया जिसका उद्देश्य भागीदारी में वृद्धि करना था। यह ठेका टाटा मोटर्स को मिला है और टाटा मोटर्स अब दो चरणों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की आपूर्ति करेगी। ईईएसएल को प्रथम 500 ई-कारों की आपूर्ति नवंबर 2017 में की जाएगी और शेष 9500 ईवी की आपूर्ति दूसरे चरण में की जाएगी।
ईईएसएल द्वारा जारी की गई निविदा विश्व की सर्वाधिक एकल इलेक्ट्रिक वाहन खरीद को दर्शाती है। तीन प्रमुख निर्माताओं यथा टाटा मोटर्स लिमिटेड, महिंद्रा एंड महिंद्रा (एम एंड एम) एवं निसान ने इस निविदा में भाग लिया और टाटा मोटर्स लिमिटेड एवं महिंद्रा एंड महिंद्रा (एम एंड एम) की बोलियां खोली गईं।
ईईएसएल आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थायित्व में संतुलन बैठाते हुए उत्कृष्ट तकनीकी सोल्यूशंस को तेजी से अपनाने के उद्देश्य के साथ काम कर रही है। अपनी इस विशिष्ट पहल के जरिये ईईएसएल मांग और बल्क खरीद के एकत्रीकरण के अपने अनूठे बिजनेस मॉडल के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार सृजित करना चाहती है। यह एक ऐसी तकनीक है जिससे देश में ई-मोबिलिटी का तेजी से बढ़ना तय है।
टाटा मोटर्स लिमिटेड ने प्रतिस्पर्धी बोली में 10.16 लाख रुपये की न्यूनतम कीमत का उल्लेख किया जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) शामिल नहीं है। ईईएसएल द्वारा यह वाहन 11.2 लाख रुपये में मुहैया कराया जाएगा जिसमें जीएसटी और 5 साल की व्यापक वारंटी शामिल होगी। यह कीमत 3 साल की वारंटी वाली समान ई-कार के वर्तमान खुदरा मूल्य से 25 फीसदी कम है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये 10,000 ईवी की खरीदारी के साथ-साथ ईईएसएल एक सेवा प्रदाता एजेंसी की भी पहचान करेगी। इस एजेंसी की नियुक्ति भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये ही की जाएगी। यह एजेंसी संबंधित सरकारी ग्राहक के लिए खरीदे गए वाहनों का समग्र बेड़ा प्रबंधन करेगी। इन कारों का उपयोग अगले 3-4 वर्षों के दौरान सरकार एवं उसकी एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली पेट्रोल एवं डीजल कारों के प्रतिस्थापन में होगा। सरकार एवं उसकी एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल में लाए जाने वाले वाहनों की संख्या अनुमानित 5 लाख है।
इस कार्यक्रम के जरिये इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग शुरू किए जाने से तेल आयात पर निर्भरता घट जाएगी और भारत में विद्युत क्षमता वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ जाएगी और इसके साथ ही परिवहन क्षेत्र से होने वाला जीएचजी (ग्रीनहाउस गैस) उत्सर्जन भी घट जाएगा।
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