देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम हाउस स्थित कैंप कार्यालय में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से संबंधित प्रगति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को इन्वेस्टमेंट हेतु देश के सर्वश्रेष्ठ डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना है। राज्य को अन्य राज्यों के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते हुए आगे निकलना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड को सही मायने में इन्वेस्टर फ्रेंडली बनाने के लिए सभी विभागों और अन्य साझेदारों का सक्रिय सहयोग चाहिए होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की सफलता के लिए निवेशकों की सुविधा हेतु बनाए गए इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन सेल को पूर्ण रुप से प्रभावी बनाया जाए। एक ही स्थान पर निवेशक को सभी प्रकार की सूचनाएं व आवश्यक दिशा-निर्देश और मदद प्राप्त होनी चाहिए। निवेशकों की आवश्यकता के अनुसार विविध प्रकार के कौशल विकास कार्यक्रम भी संचालित किए जाने चाहिए। जिससे उनको प्रशिक्षित मानव संसाधन मिल सके।
प्रमुख सचिव श्रीमती मनीषा पंवार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत प्रस्तावित बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इसके अंतर्गत राज्य में व्यवसाय करने से संबंधित विभिन्न कारकों के क्रियान्वयन की स्थिति का पता करते हुए अन्य राज्यों के साथ तुलनात्मक अध्ययन कर कार्ययोजना विकसित की गई है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में आवेदनों के निस्तारण के लिए समय सीमा, ऑनलाइन प्रक्रिया, सेवाओं की व्यापक सूची, एकल खिड़की की उपलब्धता, सरकार के स्तर पर दी जाने वाली सुविधाएं, औद्योगिक संघों के साथ नियमित बैठक जैसे कई बिंदुओं पर विचार किया जाता है। भारत सरकार के वर्ष 2016 की रैंकिंग के अनुसार उत्तराखंड ईज आॅफ डूइंग बिजनेस में प्रथम 10 राज्यों में शामिल था। उत्तराखण्ड लीडर श्रेणी का राज्य है। डी.आई.पी.पी. द्वारा निर्धारित 340 प्वाइंट्स में से 96.13 प्रतिशत बिंदुओं पर अनुपालन किया गया है। 10 सुधार क्षेत्रों में से 7 क्षेत्रों में 100 प्रतिशत उपलब्धि रही है। उत्तराखण्ड हिमालयी राज्यों में प्रथम स्थान पर है। इस वर्ष रैंकिंग में स्टेकहोल्डर से भी फीडबैक लिया जाएगा। जिसमें नये व्यवसायी, विद्यमान व्यवसायी, आर्किटेक्ट, विद्युत कॉन्ट्रैक्टर्स, अधिवक्ता आदि होंगे।
बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान 2017 के लिए न्याय विभाग को वाणिज्यिक न्यायालयों की स्थापना, न्यायालय शुल्क और प्रक्रिया शुल्क का मर्जर अक्टूबर तक करना है। इसी प्रकार आवास और शहरी विकास विभाग को स्थानीय निकायों के लिए मास्टर प्लान बनाना है साथ ही मकानों के नक्शे पास करने का ऑनलाइन प्रबंध करना है। रजिस्ट्रेशन विभाग को अभिलेखों के पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार लाना है। राजस्व विभाग को भूलेख सॉफ्टवेयर को तीव्रता से लागू करना है। साथ ही भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन हेतु कार्यवाही करनी है। राजस्व विभाग को राजस्व न्यायालयों के लिए सॉफ्टवेयर भी बनाना है। ऊर्जा विभाग को विद्युत निरीक्षणालय हेतु सॉफ्टवेयर का निर्माण करना हैं। नागरिक खाद्य आपूर्ति विभाग को भार एवं माप विभाग हेतु सॉफ्टवेयर का निर्माण करना है। वन विभाग को रवन्ना हेतु सॉफ्टवेयर का निर्माण करना है। ड्रग कंट्रोलर को ड्रग मैनुफैक्चरिंग से संबंधित सॉफ्टवेयर बनाना है। सभी विभागों को निर्देश दिया गया कि वह 30 सितंबर से 15 अक्टूबर, 2017 के मध्य अपने निर्धारित कार्य को पूर्ण कर लें।
बैठक में सचिव वित्त श्री अमित नेगी, सचिव श्रीमती राधिका झा, अपर सचिव डाॅ.पंकज कुमार पाण्डेय, एम.डी. सिडकुल श्री आर.राजेश कुमार सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी आदि उपस्थित थे।