देहरादून: राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल की अध्यक्षता में राजभवन स्थित काॅन्फें्रस हाॅल में उच्च शिक्षा को बेहतरीन बनाने व राज्य स्थित उच्च शैक्षणिक संस्थानो की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय कुलपतियों के साथ एक विचार गोष्ठी आयोजित की गयी। गोष्ठी में आगामी शैक्षणिक सत्र जुलाई माह में शिक्षा गुणवत्ता में सुधारात्मक पहल किये जाने पर चर्चा की गयी। इसके लिए राज्यपाल ने कुलपतियों से भी सुझाव आमंत्रित किये।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में स्कूली शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा है। इस बार पांच सौ छात्रों का आई.आई.टी में चयन होना इस बात का प्रमाण है, लेकिन उच्च शिक्षा में बहुत कुछ सुधार किये जाने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों व यहाँ के छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि किसी विश्वविद्यालय की साख को मजबूत बनाने में कुलपति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। छात्रों व राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए जो सतर्कता स्कूल स्तर पर जरूरी है उतनी ही विश्वविद्यालय स्तर पर भी जरूरी है। कुलपतियों को निर्देशित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा, काॅलेज और विश्वविद्यालयों में शिक्षा का ऐसा स्तर हो कि यहाँ से पढ़कर जाने वाला छात्र औद्योगिक घरानों, कम्पनियों की पहली पसंद बनें। यहाँ के युवाओं को नौकरियों में प्राथमिकता मिले। शिक्षा को बेहतर बनाने से ही छात्र बेहतर बनेंगे और बेहतर छात्रों के निर्माण के लिए बेहतर शिक्षकों की आवश्यकता होगी। शिक्षकों को बेहतर बनाने के लिए ग्रीष्म अवकाश में ग्रीष्म स्कूलों की व्यवस्था किये जाने का सुझाव राज्यपाल ने दिया, इस समय में शिक्षकों को अनिवार्य रूप से प्रशिक्षित किये जाने के लिए कोर्स संचालित किये जायें।
राज्यपाल ने तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति से काॅलेजों में कराये जाने वाले विज्ञान विषय के प्रैक्टिकल को गंभीरता से कराये जाने की बात कही। उन्होंने राज्य की भौगोलिक परिस्थिति के हिसाब से लैण्ड स्लाइड, वेस्टमैनेजमंेट आदि पर विज्ञान विषय के छात्रों को शोध करने के लिए प्रेरित किये जाने के जरूरत बतायी।
उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति को छात्रों के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में स्किल डेवलेपमेंट व दुभाषीय ज्ञान जैसे रोजगारपरक विषयों की शिक्षा को शामिल किये जाने के निर्देश दिए। मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति को निर्देशित किया कि चिकित्सा शिक्षा में दाखिल प्रत्येक छात्र को उसके विषय में निपुण बनाने के प्रयास होने चाहिए। चिकित्सा किसी प्रदेश को पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने कहा कि उत्तरखण्ड के मेडिकल काॅलेज से पढ़कर कोई छात्र अच्छे डाॅक्टर बनते हैं तो उत्तराखण्ड के साथ-साथ बाहरी प्रदेशों में अपनी गुणवत्तापूर्ण सेंवायें देकर राज्य को समृद्ध पहचान दिलायेंगे। उत्तराखण्ड में पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सकों का अभाव है, ऐसे में मेडिकल विश्वविद्यालय टेलीमेडिसन के लिए महिला, पुरूष नर्सों को प्रशिक्षित करें। दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए दक्ष नर्सों को टेलीमेडिसिन सेंटर पर तैनात करने की पहल किये जाने का सुझाव राज्यपाल ने दिया। टेलीमेडिसिन ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा चिकित्सक दूर बैठे ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये रोगी का समय पर उपचार कर सकता है। पहाड़ों से किसी भी रोगी को लेकर बड़े अस्पतालों तक पहुँचने की आवश्यकता भी नहीं होगी।
राज्यपाल ने आवासीय विश्वविद्यालय के कुलपति को निर्देशित किया कि अल्मोड़ा आवासीय विश्वविद्यालय राज्य का नवीनतम विश्वविद्यालय है ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता व माहौल को शुरूआत से ही प्रभावी बनाये रखने के प्रयास किये जायें जिससे बेहतर स्तर बना रहे।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय कुलपतियों व सम्बंधित शासकीय अधिकारियों से भी सुझाव आमंत्रित किये।
विचार गोष्ठी में समस्त मुख्य सचिव एस रामास्वामी, सचिव राज्यपाल अमित नेगी सहित समस्त विश्वविद्यालयों के कुलपति व सम्बन्धित सचिव उपस्थित रहे।