नई दिल्ली: केन्द्रीय विद्युत, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और खान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘उदय देश में विद्युत क्षेत्र से जुड़ा अब तक का सर्वाधिक व्यापक सुधार है, जिसे नियोजित एवं क्रियान्वित किया गया है।‘ श्री पीयूष गोयल आज यहां विद्युत क्षेत्र, विशेषकर ‘उदय’ योजना की प्रगति को कवर करने वाले पत्रकारों और विश्लेषकों के एक प्रतिष्ठित समूह को संबोधित कर रहे थे।
श्री गोयल ने कहा कि उदय योजना व्यापक, सहकारी, सहयोगात्मक, प्रतिस्पर्धी, सहमति और करुणामय संघवाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसके तहत यह परिकल्पना की गई है कि राज्य सरकारें पूर्ण सहयोग दर्शाते हुए केन्द्र के साथ मिलकर काम करेंगी, ताकि देशवासियों की बिजली संबंधी जरूरतों की व्यापक पूर्ति पर ध्यान केन्द्रित किया जा सके। मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि इस योजना के तहत राज्य सरकारों को आपस में रचनात्मक प्रतिस्पर्धा के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे कि उनके विद्युत विभागों और डिस्कॉम की वित्तीय एवं परिचालन स्थिति में सुधार के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
श्री गोयल ने ‘उदय’ के सभी हितधारकों के लिए जारी एक प्रेरणादायक वक्तव्य में कहा कि सरकार का लक्ष्य ‘सभी को चौबीस घंटे सुनिश्चित, गुणवत्तापूर्ण, किफायती और विश्वसनीय बिजली’ मुहैया कराना है।
उपर्युक्त कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार और केरल राज्य एवं केरल राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड ने विद्युत उपक्रम के परिचालन में सुधार के लिए उज्ज्वल डिस्कॉम आश्वासन योजना (उदय) के तहत सहमति पत्र (एमओयू) का आदान-प्रदान किया। इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा भी अपने यहां के विद्युत वितरण विभागों के परिचालन में सुधार के लिए आज उदय में शामिल हो गए। इसके साथ ही उदय में शामिल होने वाले राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की कुल संख्या बढ़कर 26 हो गई है।
उदय में शामिल होने के परिणामस्वरूप केरल, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा को क्रमश: लगभग 4178 करोड़, 309 करोड़ और 810 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ होगा। यह फायदा इन राज्यों के विद्युत निकायों की स्थिति में बेहतरी की तय अवधि के दौरान सस्ते फंड की प्राप्ति, कुल तकनीकी एवं वाणिज्यिक तथा पारेषण हानियों में कमी, ऊर्जा दक्षता से जुड़े कदमों इत्यादि से संभव हो पाएगा।
इस अवसर पर विद्युत सचिव श्री पी. के. पुजारी, कोयला सचिव श्री सुशील कुमार, केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय, मंत्रालय के अधीनस्थ सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) और राज्यों के विद्युत विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी शामिल थे।
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