लखनऊ: इन्टरनेट के माध्यम से कम्प्यूटर आधारित ‘‘ब्लू व्हेल गेम’’ सीधे बच्चों को अपना निशाना बना रहा है। उन्हें 50 दिनों में 50 विभिन्न चुनौतियाँ पूरी करके स्वयं को हानि पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जिसकी अन्तिम चुनौती आत्महत्या है। इण्टरनेट पर उपलब्ध आंकड़ों से संज्ञान में आया है कि यह गेम विश्व में 100 से अधिक बच्चों की मृत्यु का कारण बन चुका है। उपरोक्त बातें प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा ने ब्लू व्हेल गेम से बच्चों के बचाव हेतु कही।
डा0 शर्मा ने बताया कि किशोर अवस्था के बालक/बालिकाएं जब यह खेल स्वीकार करते है, तो नियंत्रक (एडमिनिस्ट्रेटर) उनसे कुछ व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त कर लेता है। हर चुनौती पिछली चुनौतियों से अधिक खतरनाक होती जाती है। यदि बच्चा चुनौती को छोड़ना या गेम समाप्त करना चाहता है तो नियंत्रक (एडमिनिस्ट्रेटर) व्यक्तिगत जानकारी प्रकट कर देने या परिवार को हानि पहुंचाने की धमकी देता है। जब 50वाॅ दिन आता है तो क्यूरेटर, गेम खेलने वाले को आत्महत्या करने तक का निर्देश देता है।
उपमुख्यमंत्री ने इसके बचाव एवं सुरक्षा के लिए अभिभावकों को सलाह दी है कि वे बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से पर गहरे कट्स या घाव, मित्रों और परिवार से बढ़ती दूरी, लगातार मूड खराब रहना और अप्रसन्नता, बच्चा चिन्तित प्रतीत हो, जो उसे दिन-प्रतिदिन के काम करने से रोकता हो, खुद पर अथवा अन्य किसी पर अचानक क्रोधित हो जाना, जिन गतिविधियों में बच्चे को आनन्द आता था, उनमें रूचि की कमी दिखाई देना जैसे लक्षणों पर नजर रखें। उन्होंने कहा कि माता-पिता तथा पारिवारिक सदस्य नियंत्रित साॅफ्टवेयर का ही उपयोग करें, साॅफ्टवेयर्स को जानें, उनसे बचें तथा रक्षा करें।
उन्होंने कहा कि यह आपके बच्चे की डिवाइस पर की-बोर्ड्स के सभी स्पर्श देखने की सुविधा देता है। इसलिए यदि किसी बच्चे को कुछ हानिकारक करने की चुनौती मिलती है तो ऐसा कैसे करना है, उसे इन्टरनेट पर गूगल करने से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इससे आप सावधान होकर आवश्यक कार्यवाही कर सकते है। उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी है कि अपने बच्चे के कम्प्यूटर पर कार्यकलापों (सर्च हिस्ट्री) पर दृष्टि रखें और उसमें से उपयोगी संकेत ग्रहण करें। यह आपको अपने बच्चे की मनःस्थिति ज्ञात करने में सहायक सिद्ध होंगे।
डा0 शर्मा ने अभिभावकों को सलाह दी है कि अपने बच्चे के टेक्स्ट संदेश, काललाॅग, सर्च हिस्ट्री, फेसबुक द्वारा काम्युनिकेशन, स्नैपचैट, वाट्सऐप इत्यादि देखते रहें। साथ ही ऐप्स का उपयोग सीमित कर दें और खतरनाक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली साइट्स को रोक (Block dj) दें। अपने बच्चों से इस गेम के बारे में समय-समय पर वार्ता करें। उसके मित्रों से भी वार्ता करें। उनसे पूछे कि इसके बारे में उन्होंने विद्यालय में अथवा अन्य कहीं सुना है। यदि आप को लगता है कि यह गेम आपके बच्चों के स्कूल या अन्य कहीं से फैल रहा है, तो शिक्षकों और अभिभावकों सहित सम्बन्धित प्राधिकारियों को भी व्यापक रूप से जागरूक करें।
उप मुख्यमंत्री ने सभी विद्यालयों को निर्देशित किया है कि विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्रदान करें। उन्होंने कहा कि अध्यापक को यदि किसी विद्यार्थी के व्यवहार में इस प्रकार का कोई विशेष बदलाव दिखाई दे तो तुरन्त उनके अभिभावकों को अवगत करायें।