नई दिल्ली: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने संस्थागत व्यवस्था ‘एकीकृत निगरानी एवं सलाहकार परिषद (आईएमएसी)’ के तहत ‘वर्ष 2021-22 तक तेल एवं गैस क्षेत्र में आयात निर्भरता में 10 फीसदी कमी के लक्ष्य की प्राप्ति के रोडमैप’ के क्रियान्वयन एवं नीति निर्माण से जुड़े शीर्ष निकाय की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक 19 जुलाई, 2017 को आयोजित की गई।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने माननीय प्रधानमंत्री द्वारा ऊर्जा संगम के दौरान तय किए गए ‘आयात निर्भरता में 10 फीसदी कमी के लक्ष्य’ की प्राप्ति के लिए एक विस्तृत खाका (रोडमैप) तैयार किया है। यह परिकल्पना की गई थी कि आईएमएसी आपूर्ति एवं मांग के प्रबंधन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए समस्त ऊर्जा संसाधनों में बेहतर तालमेल बैठाने के साथ-साथ इनके लिए व्यापक रणनीति तैयार करने में मददगार साबित होगी।
आईएमएसी में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस सचिव और विभिन्न मंत्रालयों जैसे कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी विकास, सड़क एवं परिवहन, कृषि मंत्रालयों, विद्युत/ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, ग्रामीण विकास एवं वित्त मंत्रालयों के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी, पेट्रोलियम नियोजन विश्लेषण प्रकोष्ठ, पीसीआरए, डीजीएच इत्यादि शामिल हैं।
बैठक के दौरान मंत्रालय ने तेल एवं गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए हाल ही में उठाए गए प्रमुख नीतिगत कदमों पर प्रकाश डाला। इनमें अन्य बातों के अलावा कई अहम उपाय शामिल हैं। इन उपायों में संसाधन का फिर से आकलन करना, नेशनल डेटा रिपोजटरी (एनडीआर), रकबा लाइसेंसिंग की खुली नीति (ओएएलपी), हाइड्रोकार्बन अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (हेल्प) और खोजे गए छोटे पेट्रोलियम क्षेत्रों से जुड़ी नीति के साथ-साथ गैर-परम्परागत स्रोतों जैसे कि कोल बेड मीथेन एवं शेल गैस का दोहन करना इत्यादि शामिल हैं। इसके अलावा जैव-डीजल का उत्पादन बढ़ाना और पीएनजी तथा एलपीजी का ज्यादा उपयोग करना भी इन उपायों में शामिल हैं।
श्री प्रधान ने अन्वेषण एवं उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों में तेजी लाने का उपयुक्त माहौल बनाने के लिए सभी मंत्रालयों द्वारा ठोस एवं समन्वित प्रयास करने की जरूरत पर विशेष बल दिया। मंत्री महोदय ने कई अन्य उपायों पर प्रकाश डाला। ऊर्जा संरक्षण एवं दक्षता को बढ़ावा देना, तेल मांग के प्रतिस्थापन के अवसरों की तलाश करना, जैव-ईंधनों (2जी जैव-एथनॉल, जैव-डीजल के लिए कच्चा माल इत्यादि) की संभावनाओं का दोहन करना, अपशिष्ट से धन की प्राप्ति इत्यादि इन उपायों में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की खपत से जुड़े मंत्रालयों और प्रौद्योगिकी से संबंधित मंत्रालयों इत्यादि को आईएमएसी के दायरे में लाने की जरूरत है।
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