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एक सहभागी, जीवंत और समावेशी लोकतंत्र बनाने की दिशा में साक्षरता आवश्‍यक कदम है: उपराष्‍ट्रपति

Literacy provides the first essential step towards building a participative, vibrant, and a more inclusive democracy Vice President
देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि एक सहभागी, जीवंत और समावेशी लोकतंत्र में सारक्षता आवश्‍यक कदम है। उपराष्‍ट्रपति आज अंतरराष्‍ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को सम्‍बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केन्‍द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर, मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री श्री उपेन्‍द्र कुशवाहा, मानव संसाधन विकास तथा जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्‍य मंत्री डॉक्‍टर सत्‍यपाल सिंह, स्‍कूल शिक्षा व साक्षरता विभाग के सचिव श्री अनिल स्‍वरूप और अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति उपस्थित थे।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश के विकास में साक्षरता का महत्‍वपूर्ण योगदान होता है। साक्षर व्‍यक्ति, संविधान में प्रदत्‍त अधिकारों का उपयोग करता है और राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक लाभों को प्राप्‍त करने में सक्षम होता है। उन्‍होंने सार्वभौमिक साक्षरता प्राप्‍त करने के लिए सुझाव दिए। जैसे – प्राथमिक व स्‍कूली शिक्षा में सुधार तथा उन लोगों को सीखने का अवसर प्रदान करना, जो कभी स्‍कूल गये ही नहीं या किन्‍हीं कारणों से उन्‍हें स्‍कूल छोड़ना पड़ा। नये साक्षर होने वालों में अधिकांश महिलाएं हैं। साक्षर भारत ही सक्षम भारत बनेगा। उन्‍होंने शिक्षा में तकनीक के प्रयोग की आवश्‍यकता पर बल दिया।

उपराष्‍ट्रपति के सम्‍बोधन की मुख्‍य बातें:-

51वें अन्‍तरराष्‍ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर मैं आप लोगों के बीच आकर अत्‍यधिक प्रसन्‍न हूं।

यह दिवस हमें याद दिलाता है कि साक्षरता ने सभी देशों के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दिन हम अपने स्‍वतंत्रता संघर्ष और महात्‍मा गांधी को याद करते हैं। गांधी जी ने कहा था कि बड़ी संख्‍या में लोगों की निरक्षरता एक पाप है और एक शर्मनाक स्थिति है, जिसे समाप्‍त किया जाना चाहिए।

इस दिन हम अपनी उपलब्धियों को भी रेखांकित करते हैं। 1947 में मात्र 18 प्रतिशत लोग ही पढ़-लिख सकते थे। आज लगभग 74 प्रतिशत आबादी साक्षर है। 95 प्रतिशत बच्‍चे स्‍कूल जाते हैं और 86 प्रतिशत युवा साक्षर हैं। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।

लेकिन हमें लम्‍बा रास्‍ता तय करना है। लगभग 35 करोड़ युवा साक्षर नहीं हैं और इस प्रकार देश के विकास में वे प्रभावी रूप से सहभागी नहीं बन पा रहे हैं।

      लेकिन इन उपलब्धियों के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 5 सितम्‍बर को चीन में ब्रिक्‍स सम्‍मेलन के अपने सम्‍बोधन में कहा ‘सबका साथ-सबका विकास’। अगले पांच वर्षों में भारत न्‍यू इंडिया बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। हम लोग 2030 के समावेशी विकास के एजेंडे के प्रति प्रतिबद्ध हैं। इस एजेंडे में पूरे विश्‍व में सार्वभौमिक साक्षरता की बात कही गई है और इसे 2030 तक प्राप्‍त करने का लक्ष्‍य रखा गया है।

      सार्वभौमिक साक्षरता एक सामुदाय आधारित प्रयास होना चाहिए और सरकार को इसमें सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इस अवसर पर मुझे विख्‍यात तेलुगू कवि गुरज़दा अप्‍पाराव की पंक्तियां याद आती है, जिसमें उन्‍होंने कहा था ‘देश हमारे पैरों के नीचे की जमीन नहीं है बल्कि हम लोग इस धरती के ऊपर रहते हैं’ हमें गरीबों में भी सबसे गरीब तक पहुंचना होगा। यही अंत्‍योदय दृष्टिकोण है।

      जीवन में साक्षरता के महत्‍व को देखते हुए देश में साक्षर भारत और सर्वशिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं। साक्षर भारत कार्यक्रम का कार्यक्षेत्र ग्रामीण भारत है, जहां महिलाओं में साक्षरता दर काफी कम है। यह कार्यक्रम ग्राम पंचायत स्‍तर पर लागू किया गया है।

मार्च 2017 तक लगभग 6.66 करोड़ लोगों ने राष्‍ट्रीय मुक्‍त विद्यालय द्वारा आयोजित मूल्‍यांकन परीक्षा में सफलता प्राप्‍त की है, जिनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। महिलाएं साक्षरता कार्यक्रम की दूत हैं।

मैं राष्‍ट्रीय साक्षरता मिशन की उपलब्धियों से प्रसन्‍न हूं। मिशन ने लोगों को मूलभूत साक्षरता के साथ-साथ आर्थिक साक्षरता भी प्रदान की है। मिशन ने लोगों को प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अन्‍तर्गत खाते का संचालन करना सिखाया है। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अन्‍तर्गत लोगों को सुरक्षा बंधन में सहभागी बनाया है। शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के लिए मिशन ने सांसद आदर्श ग्राम योजना को भी जोड़ा है।

साक्षरता कार्यक्रमों की गुणवत्‍ता बढ़ जाती है जब इसे स्‍वच्‍छ भारत, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री उज्‍जवला योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रमों से जोड़ दिया जाता है।

मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि भारत यूनेस्‍को के कार्यक्रम ‘ग्‍लोबल एलायंस फॉर लिटरेसी विदिन दॅ फ्रेमवर्क ऑफ लाइफलॉंग लर्निंग’ का एक प्रमुख सहभागी है। अगले 15 वर्षों में विश्‍वस्‍तर पर साक्षरता बढ़ाने के कार्यक्रम में भारत महत्‍वपूर्ण नेतृत्‍व प्रदान कर सकता है।

अपना सम्‍बोधन समाप्‍त करने से पूर्व मैं उन लोगों को बधाई देता हूं जिन्‍हें साक्षर भारत पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया है। पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वाले प्रेरणा स्रोत हैं, जो लोगों को दूसरे ग्राम पंचायतों, जिलों और राज्‍यों में साक्षरता के कार्यक्रम को चलाने के प्रति प्रोत्‍साहित करते हैं। मैं सभी राज्‍य सरकारों, सामाजिक संगठनों, स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं, उद्योग संघों और नागरिकों का आह्वान करता हूं कि वे भारत को पूर्ण साक्षर देश बनाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएं और महात्‍मा गांधी के सपने को पूरा करें।

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