16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

एनआरआई विवाहों से जुड़े मुद्दों के बारे में महिला और बाल विकास मंत्रालय को प्राप्त सुझावों के बारे में स्पष्टीकरण

देश-विदेश

नयी दिल्ली: सरकार ने भारतीय मूल के विदेशों में रह रहे नागरिकों से विवाह करने वाले भारतीय नागरिकों के सामने आने वाले मुद्दों और कठिनाइयों का पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की है और वर्तमान कानूनों/नीतियों/नियमों में संशोधनों का सुझाव दिया है। ऐसा विवाहों के टूटने से उत्पन्न कठिन परिस्थितियों में फंसे पुरूषों/महिलाओं (और उनके बच्चों) की बड़ी संख्या में शिकायतें मिलने के बाद किया गया है।

       एनआरआई आयोग, पंजाब के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरविन्द कुमार गोयल के नेतृत्व में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। समिति के सदस्यों में पूर्व सांसद श्री बलवंत सिंह रामूवालिया, महिला और बाल विकास मंत्रालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और दूर संचार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और प्रोफेसर पैम राजपूत शामिल हैं।

       एनआरआई विवाहों से जुड़े विषयों पर चर्चा के लिए अब तक विशेषज्ञ समिति की चार बैठकें हो चुकी हैं। महिलाओं और बच्चों से जुड़े विषयों से निपटने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय प्रमुख मंत्रालय है और उसे विभिन्न व्यक्तियों, नागरिक समाज संगठनों/संस्थानों सहित विभिन्न साझेदारों से इस बारे में अनेक सुझाव मिल रहे हैं। इऩमें से कुछ सुझावों में विदेशी विवाह अधिनियम,1969 सहित अनेक कानूनों में संशोधन; विदेश स्थित दूतावासों/मिशनों में पृथक प्रकोष्ठ का गठन ताकि लोग स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय कर सकें; प्रभावित इलाकों जैसे गांवों, कस्बों और शैक्षणिक संस्थानों में इस विषय में क्या करें और क्या न करें का प्रसार; केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड (सीएसडब्ल्यूबी) द्वारा गठित परिवार परामर्श केन्द्रों (एफएफसी) के जरिये विवाह से पहले और विवाह के बाद सलाह प्रदान करने; कानूनी और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए दूतावास संबंधी सार्थक डिवीजन का गठन; विवाह के लिए पंजीकरण अनिवार्य करना; मां को बच्चे का सहज अभिभावक बनाना और अऩेक अन्य सुझाव शामिल हैं।

       इन सभी सुझावों को महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा जांच के लिए विशेषज्ञ समिति के पास भेजा गया है। विशेषज्ञ समिति सभी सुझावों पर गौर करेगी और सरकार को अपनी सिफारिशें देगी। सरकार भविष्य की रणनीति तय करने के लिए बड़ी संख्या में साझेदार समूहों के साथ विचार-विमर्श कर सिफारिशों की जांच करेगी। अतः यह स्पष्ट किया जाता है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा विशेषज्ञ समिति को भेजे गये सुझाव केवल प्रक्रिया का हिस्सा हैं ताकि विभिन्न साझेदारों के विचारों पर समिति द्वारा विधिवत विचार किया जा सके। इस संबंध में मंत्रालय की औपचारिक और अंतिम सिफारिशों के रूप में दी गई खबरें पूरी तरह गुमराह करने वाली और गलत हैं। मंत्रालय ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से कहा है कि वह ऐसे बच्चों के मामलों को देखे जिनके माता पिता का विवाह टूट चुका है। एनसीपीसीआर से कहा गया है कि वह इस मुद्दे पर विस्तृत विचार-विमर्श करे ताकि इस विषय से जुड़े सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, कानूनी और अन्य आयामों की जांच हो सके।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More