नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) मुम्बई के छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक प्राथमिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। 6 दिनों तक चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की आज शुरूआत हुई। इसका उद्देश्य हवाई अड्डों पर सीबीआरएन आपात के दौरान हवाई अड्डा आपात संचालकों (एईएच) की तैयारी को बेहतर बनाना है। सीबीआरएन आपात रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी तथा परमाणु पदार्थों से पैदा होने वाले खतरों से संबंधित है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण (एएआई) और इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (आईएनएमएएस) के सहयोग से आयोजित किया गया है।
सीबीआरएन आपात के संचालन में विशेष कौशल और प्रयास की आवश्यकता होती है। वास्तव में सीबीआरएन आपात से संबंधित एक छोटा खतरा भी एयर पोर्ट पर मौजूद लोगों में दहशत पैदा कर सकता है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम हमारे हवाई अड्डों पर सीबीआरएन सुरक्षा को बेहतर बनाएगा और हवाई अड्डा आपात संचालकों (एईएच) को किसी भी सीबीआरएन आपात का मुकाबला करने में सक्षम बनाएगा।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत व्याख्यान और प्रायोगिक प्रशिक्षण शामिल हैं। इसमें व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के इस्तेमाल तथा खतरों को ढूंढने का प्रशिक्षण भी शामिल है। हवाई अड्डा आपात संचालकों (एईएच) को सीबीआरएन आपातों से निबटने के साथ-साथ प्राथमिक चिकित्सा व मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
भाभा परमाणु शोध संस्थान(बीएआरसी), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), आईएनएमएएस, राष्ट्रीय स्वास्थ्य और न्यूरो विज्ञान संस्थान (एनआईएमएचएएनएस) जैसे हितधारक विभागों के विशेषज्ञ प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
200 कर्मियों को सीबीआरएन आपातों के विभिन्न आयामों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके पहले चेन्नई और कोलकाता हवाई अड्डों पर इसी तरह के कार्यक्रम सफलता पूर्वक किए जा चुके हैं। हवाई अड्डा आपात संचालकों (एईएच) को सक्षम बनाने के उद्देश्य से एनडीएमए पूरे देश के हवाई अड्डों पर ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।