नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (सीबीआरएन) जनित खतरों से निपटने की तत्परता और मुस्तैदी बढ़ाने हेतु संसद भवन परिसर (पीएचसी) के सुरक्षाकर्मियों के लिए आज यहां प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इस पांच दिवसीय कार्यक्रम का मकसद पीएचसी सुरक्षाकर्मियों को रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु जनित खतरों के विभिन्न आयामों का प्रशिक्षण देना है।
इस अवसर पर एनडीएमए के सदस्य आरके जैन ने कहा कि आज की दुनिया में सीबीआरएन आपात स्थ्िातियां एक सच्चाई बन गई हैं। समग्र नियोजन, तैयारी और प्रभावी अनुक्रिया रणनीति के जरिए हम इस तरह की आपात स्थ्िातियों से प्रभावी ढंग से निपट सकते हैं।
सीबीआरएन प्रशिक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए एनडीएमए के सदस्य डॉ डीएन शर्मा ने कहा कि एक छोटी सी सीबीआरएन दुर्घटना भी लोगों में व्यापक मनोवैज्ञानिक पीड़ा का कारण बन सकती है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हमारे सुरक्षाबल ऐसी संभावित आपात स्थ्िातियों से समग्रता से निपटें।
कार्यक्रम में व्याख्यान, अनुसंधान और परिशोधन का लाइव डेमोनस्ट्रेशन के साथ-साथ पर्सनल प्रोएक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) का उपयोग भी शामिल था। प्रतिभागियों को मूलभूत जीवन आश्रय व्यवस्था, आपात स्थ्िाति में वरीयता निर्धारण और घायलों को ले जाने की तकनीक के साथ-साथ खतरनाक सामग्र वाहनों की कार्यप्रणाली भी समझाई गई।
एनडीएमए के सुरक्षाकर्मियों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम का यह 17वां श्रृंखला कार्यक्रम था। अभी तक सीबीआरएन आपाति स्थितियों से निपटने के लिए 800 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।