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एनडीडीबी ने अपनी शुरूआत से ही, ‘ऑपरेशन फ्लड’ सहित कई बड़े डेरी विकास कार्यक्रमों को देश में कार्यान्वित किया है: श्री सिंह

The country is the world's largest milk producer for the past two decades and its credit goes to the farmers of the country: Shri Radha Mohan Singh
कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि दूध का उत्‍पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी परियोजना (एनडीपी) का उद्देश्‍य दुधारू पशुओं की उत्पादकता को बढ़ाना तथा इसके द्वारा दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दूध उत्पादन बढ़ाना है । श्री सिंह ने यह बात आज टीके पटेल सभागार, एनडीडीबी आणंद, गुजरात में कही। इस कार्यक्रम में गुजरात के मुख्य मंत्री श्री विजयभाई रुपाणी और केन्द्रीय राज्य मंत्री, कृषि एवं किसान कल्याण, श्री पुरूषोतम रुपाला भी मौजूद थे।

श्री राधा मोहन सिंह ने कहा की कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से उच्च आनुवंशिक गुण वाले सांड़ों के वीर्य का उपयोग करके आनुवंशिक प्रगति में तेजी लाने और साथ ही किसानों को अपने पशुओं को संतुलित आहार देने से, उत्पादकता में वृद्धि हो रही है। होगी।  इनपुट के प्रभावी उपयोग हेतु संतुलित आहार को बढ़ावा देने के लिए एनडीपी की पहल से किसानों को कम आहार लागत के साथ उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिल रही है।

श्री सिंह ने कहा कि देश पिछले दो दशकों से विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है और इसका श्रेय देश के किसानों को जाता है । चूँकि हमारे देश के दो तिहाई से अधिक नागरिक ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, इसलिए किसानों को अधिक समृद्ध बनाने की जरूरत है,  जिसके लिए डेरी क्षेत्र महत्वपूर्ण है।

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि एनडीडीबी ने अपनी शुरूआत से ही, ‘ऑपरेशन फ्लड’ सहित कई बड़े डेरी विकास कार्यक्रमों को देश में कार्यान्वित किया है ।  भारत दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है ओर विश्व के कुल दूध उत्पादन में 19 प्रतिशत का योगदान देता  है। 2011-14 के सापेक्ष 2014-17 क दौरान डेयरी किसानों की आय में 13.79 की प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दुग्ध उत्पादन जो कि वर्ष 2015-16 के दौरान 155.49 मिलियन टन थी, 2019-20 में उसे बढ़ाकर 200 मिलियन टन करने की योजना है। वर्तमान में राष्ट्रीय डेरी योजना (एनडीपी) और हाल ही में घोषित डेरी प्रसंस्‍करण और बुनियादी ढॉंचा विकास निधि (डीआईडीएफ) के कार्यान्‍वयन में एनडीडीबी की भूमिका काफी अग्रणी है । केन्द्र सरकार ने 2017-18 से 2028 -29 की अवधि के दौरान 10,881 करोड़ रुपये की लागत से दुग्ध प्रसंस्करण और  बुनियादी विकास निधि (डीआईडीएफ) स्थापित   की है।

डीआईडीएफ का उद्देश्य है दूध को ठढ़ां रखने के लिए बुनियादी संरचना स्थापित करके और दूध में मिलावट की जांच के लिए इलेक्ट्रानिक उपकरण स्थापित करके, प्रसंस्करण सुविधा का निर्माण/ आधुनिकीकरण/विस्तार करके दूध की खरीद के लिए एक कारगर प्रणाली विकसित की जाएगी और दुग्ध संघों/ दुग्ध उत्पादक कंपनियों के लिए मूल्य संवर्धित उत्पादों के लिए शिक्षण संस्थान स्थापित करने पर जोर दिया जाएगा।

एनडीपी -1 का उद्देश्य है दुधारु पशुओं के उत्पादकता में वृद्धि के लिए सहायता करना और इस प्रकार दूध की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए दूध उत्पादन में वृद्धि। ग्रामीण दूध उत्पादकों को संगठित दूध प्रसंस्करण सेक्टर सहित अधिक पहुंच हेतु अधिक सहायता प्रदान करना। वर्ष 2015-16, के दौरान एनडीपी -1 को 4 राज्यों, (छत्तीसगढ़, झारखंड , तेलंगाना और उतराखंड) में विस्तारित किया गया है और इसके कार्यान्वयन की अवधि 2018-19 तक बढ़ा दी गयी है।

श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि ‘संकल्प से सिद्धि’ मिशन के तहत, भारत छोड़ो आंदोलन की 75 वीं वर्षगांठ पर, प्रधान मंत्री के सक्षम नेतृत्व के अंतर्गत, केंद्र सरकार ने सन् 2022 तक हमारे किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है | इसके लिए हाल ही में सात सूत्री रणनीति का अनावरण किया है। डेरी क्षेत्र में भी कई योजनाओं के माध्यम से कृषि मंत्रालय इसी दिशा में काम कर रहा हैं।

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि उनका अनुभव यह बताता है कि डेरी विकास के लिए उत्पादक केन्द्रित संस्थाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। श्री सिंह ने कहा कि डेरी उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कारों का चयन निष्‍पक्षता से किया गया है तथा जिन उत्पादक केन्द्रित संस्‍थाओं ने संचालन, प्रशासन और समावेशन में उत्कृष्टता हासिल की है, उन्हें डेरी उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जहॉं विजेताओं को उनके प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, वहीँ यह उम्मीद है कि इन रोल मॉडलों से सीख कर अन्‍य को भी उत्कृष्टता प्राप्त करने की प्रेरणा मिलेगी । श्री राधा मोहन सिंह ने पुरस्कार विजेताओं को अपनी शुभकामनाएं दी।

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