नई दिल्लीः कीटनाशकों/कतरने वाले जानवरों सहित विभिन्न कारणों से गोदामों में अनाज को होने वाले नुकसान को टालने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए :-
- सभी गोदाम वैज्ञानिक दृष्टि से बनाए गए हैं। उचित ऊंचाई से कतरने वाले जानवरों से रक्षा तथा ऊंचे पक्के फर्श उपलब्ध कराए गए।
- भंडारण व्यवहार की वैज्ञानिक संहिता को अपनाते हुए अनाजों का भंडारण किया गया है।
- अनाजों को जमीन की नमी से बचाने के लिए लकड़ी के टोकरे, बांस की चटाइयां तथा पॉलीथीन शीट उपयोग में लाए गए।
- भंडार में रखे गए अनाजों से उत्पन्न कीटाणुओं को नियंत्रित करने के लिए धुंए का कोहरा, नायलॉन रोप तथा जाल उपलब्ध कराए जाते हैं।
- भंडार में रखे गए अनाजों से उत्पन्न कीड़े-मकोड़ों को नियंत्रित करने के लिए गोदाम में नियमित रूप से क्रीमीनाशी का छिछ़काव किया जाता है और निवारक इलाज किए जाते हैं।
- छत वाले गोदामों तथा सीएपी भंडारण दोनों में चूहों को नियंत्रित करने के लिए कारगर उपाय किए गए।
- सीएपी भंडारण व्यवस्था में अनाजों को ऊंचाई पर रखा जाता है और लकड़ी की टोकरियों का इस्तेमाल सामग्री उठाने में किया जाता है।
- अनाजों की ढेर को उचित रूप से ढक कर रखा जाता है और यह विशेष रूप से निर्मित कम तीव्रता वाले पॉलीथीन वाटर प्रूफ कवर होता है। इसे नायलॉन रोप/जाल से बांधा जाता है।
- योग्य और प्रशिक्षित तथा सभी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा स्टॉक/गोदामों का नियमित रूप से निरीक्षण किया जाता है।
- विभिन्न स्तरों पर चेक और सुपर चेक व्यवस्था से नियमित अंतराल पर अनाजों के स्वास्थ्य की निगरानी की जाती है।
यह जानकारी आज राज्यसभा में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री श्री सी.आर. चौधरी ने दी।
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