नई दिल्ली: vमहिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न सामग्री की समस्या से निपटने के लिए कई प्रयास कर रहा है। इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए पिछले साल इस मुद्दे पर एक हितधारक परामर्श किया गया था जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि मंत्रालय ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ एक नेशनल एलायंस स्थापित करेगा जो कि मुख्य रूप से ऑनलाइन सामग्री पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके साथ-साथ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का भी गठन किया गया। अंतर-मंत्रालयी समिति में गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, विधि मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और टेलीकॉम मंत्रालय शामिल हैं।
अंतर-मंत्रालयी समिति के विचार-विमर्श पर आधारित इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न सामग्री की समस्या को खत्म करने के लिए तत्काल अंतरिम उपायों की घोषणा की है। ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न सामग्री को खत्म करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 79(2) (सी) के तहत इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आदेश जारी किया है।
इस आदेश के तहत इंटरनेट सेवा प्रदाता (आईएसपी) को 31 जुलाई 2017 तक इंटरनेट वॉच फाउंडेशन (आईडब्ल्यूएफ) संसाधनों को अपनाने और कार्यान्वित करने की आवश्यकता होगी। यह फाउंडेशन बाल यौन उत्पीड़न सामग्री (सीएसएएम) वाली वेबसाइटों और यूआरएल की एक वैश्विक सूची रखता है। आईडब्ल्यूएफ संसाधनों के कार्यान्वयन से संबंधित सामग्री को निरंतर आधार पर ब्लॉक/हटाया जा सकता है।
ऑनलाइन सीएसएएम पर निगरानी रखने के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा एक केंद्रीयकृत तंत्र तैयार करने तक यह अंतरिम उपाय हैं।