देहरादून: राज्यपाल डॉ कृष्ण कांत पाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में महिलाओं व बालिकाओं के कौशल विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता है। कौशल विकास कार्यक्रम का विस्तार, राज्य के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में भी किया जाए। कौशल विकास द्वारा युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए शिक्षण संस्थाओं व उद्योगों में आपसी सहयोग व सम्पर्क बहुत जरूरी है। राज्यपाल ओएनजीसी के एएनएम घोष ऑडिटोरियम में ‘‘बिजनेस एक्सीलेंसी फॉर सस्टेनिंग हाई परफोरमेंस’’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।
इंडियन सोसायटी फॉर ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट द्वारा आयोजित सम्मेलन में राज्यपाल ने कहा कि हम विश्व के सबसे युवा देश हैं। 60 फीसदी से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। युवाओं की इस बड़ी आबादी का सदुपयोग नए भारत के निर्माझा में किस प्रकार किया जा सकता है, यह हम सभी के लिए बड़ी चुनौति है। नास्कोम (छ।ैैब्व्ड) के अनुसार शिक्षित युवाओं का एक बड़ा भाग, अभी भी रोजगार की दृष्टि से दक्ष नही है। इसे देखते हुए ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 तक 50 करोड़ युवाओं के कौशल विकास का लक्ष्य रखा है। भारत सरकार ने इस दिशा में ठोस प्रयास भी किए हैं। राष्ट्रीय कौशल विकास व उद्यमिता नीति 2015 बनाई गई है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में बड़ी संख्या में युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार के लिए दक्ष बनाया गया है। उद्योग जगत व विश्वविद्यालयों को भी बड़ी जिम्मेवारी निभानी होगी। युवाओं को नवीनतम तकनीक की जानकारी देते हुए समुचित रूप से प्रशिक्षित किए जाने की जरूरत है।
राज्यपाल ने कहा कि पर्यटन, आतिथ्य, हेल्थकेयर, विनिर्माण व कृषि में रोजगार की अपार सम्भावनाएं हैं। सीआईआई के अनुसार वर्ष 2022 तक 24 कोर क्षेत्रों में 11करोड़ 92 लाख दक्ष मानव श्रम की आवश्यकता होगी। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कारपोरेट व उद्योग क्षेत्र को आगे आना होगा। शिक्षण संस्थाओं व उद्योगों में आपसी सम्पर्क अधिक से अधिक बढ़े। उद्योग व बिजनेस क्षेत्र, मांग के अनुरूप युवाओं के कौशल विकास के लिए नियमित तौर पर कार्यक्रम संचालित करें। इसके लिए बहुआयामी व समन्वित अवधारणा अपनाए जाने की जरूरत है। काॅलेजों व विश्वविद्यालय, अपने पाठ्यक्रम को लगातार अपडेट करें।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड एक पर्वतीय राज्य है। इसलिए कौशल विकास के कार्यक्रमों का विस्तार पर्वतीय क्षेत्रों में करने की आवश्यकता है। खास तौर पर महिलाओं के कौशल विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। दुर्गम व दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं व महिलाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण, वहां के आर्थिक विकास में काफी मददगार सिद्ध होगा।