नई दिल्ली: कंपनी मामलों के मंत्रालय ने लगभग 2.10 लाख (2,09,032) गलत कंपनियों के रजिस्ट्रेशन रद्द करने और वित्त मंत्रालय के निर्देशानुसार ऐसी कंपनियों के बैंक खातों के संचालन को इन कंपनियों के निदेशक या उनके अधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिबंधित करने के आलोक में मंत्रालय ने दिशा निर्देश जारी किए, कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 12 सितंबर 2017 को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 164(2)(अ) के अंतर्गत 1,06,578 अयोग्य निदेशकों को की पहचान की है।
कंपनी मामलों के मंत्रालय ने ऐसे निदेशकों की पहचान करने और इन कंपनियों के पीछे महत्वपूर्ण लाभकारी हितों की पहचान करने के लिए कंपनी रजिस्ट्रार के पास उपलब्ध इन कंपनियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। निदेशकों की प्रोफाइल जैसे उनकी पृष्ठभूमि, पूर्ववर्ती कार्य क्षेत्र और इन कंपनियों के संचालन/कार्यकलापों में उनकी भूमिका को भी प्रवर्तन निदेशालय के सहयोग से एकत्रित्र किया जा रहा है। इन कंपनियों के तत्वावधान में किए गए काले धन को वैध बनाने की गतिविधियों की भी जांच की जा रही है। इन कंपनियों से जुड़े पेशेवर, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स/ कंपनी सचिवों/लागत लेखाकारों और इन अवैध गतिविधियों में शामिल कुछ लोगों की पहचान की गई है और आईसीएआई, आईसीएसआई और आईसीओएआई जैसी व्यावसायिक संस्थानों पर के कार्यकलापों पर भी नजर रखी जा रही है।
ये सारे उपरोक्त कार्य कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा तैयार की गई रणनीति का हिस्सा है तथा इसकी पूरी जानकारी केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली और कंपनी मामलों के राज्य मंत्री श्री पी.पी. चौधरी को दी गई है।राज्यमंत्री श्री पी.पी. चौधरी कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत ऐसी कंपनियों के पंजीकरण रद्द करने से उत्पन्न स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। वे कंपनी मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों और इसके अधीनस्थ आने वाले संगठनों जैसे गंभीर कपट अन्वेशण कार्यालय (एसएफआईओ), कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी), वित्तीय सेवा विभाग, भारतीय बैंक संगठन और ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई में शामिल अन्य विभागों के साथ नियमित बैठकें कर रहे हैं।
कंपनी मामलों के राज्यमंत्री श्री चौधरी ने कहा कि सभी संबंधित एजेंसियां इस मुद्दे पर प्राथमिकता से काम कर रही हैं।उन्होंने कहा कि “वर्तमान सरकार ने काले धन से लड़ने और शेल कंपनियों के खतरे पर लगाम लगाने के लिए प्रतिबद्ध है। काले धन के खिलाफ लड़ाई शेल कंपनियों के नेटवर्क को तोड़े बिना कारगर नहीं हो सकती। काले धन को वैध बिना शेल कंपनियों का उपयोग के नहीं किया जा सकता।
मुझे खुशी है कि सभी संबंधित एजेंसियां इस कार्य को प्राथमिकता दे रही है। अधिनियम की धारा 164 के तहत अयोग्यता कानून के दायरे में है। हम इन शेल कंपनियों के डिफॉल्ट निदेशकों की पहचान कर रहे हैं। मेरे अधिकारियों ने मुझे आश्वासन दिया है कि इस महीने के अंत तक, हम इन शेल कंपनियों के सभी डिफॉल्ट निदेशकों के प्रासंगिक विवरणों के साथ तैयार होंगे।
इस पूरी प्रक्रिया से संस्था में विश्वास बढ़ेगा और देश में विश्वास का वातावरण बनाने में काफी मदद मिलेगी, जिससे भारत में कारोबार करने में आसानी होगी। सभी हितधारकों के हितों को संरक्षित किया जाएगा और वैश्विक व्यापार क्षेत्र में देश की छवि में काफी सुधार होगा।”
उन्होंने कहा कि कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 164 के तहत, कोई भी व्यक्ति जो एक कंपनी में निदेशक रहा है जो अपना वित्तीय विवरण या तीन वित्तीय वर्षों की किसी भी निरंतर अवधि के लिए वार्षिक रिटर्न नहीं दायर किया है, उस कंपनी में निदेशक के रूप में पुनः नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा या किसी अन्य कंपनी के लिए नियुक्त उस तिथि से पांच वर्ष की अवधि जिस पर कंपनी ने ऐसा करने में विफल रहता है, में योग्य नहीं होगा। इसके अलावा, अधिनियम की धारा 248 यह बताता है कि, प्रत्येक निदेशक, प्रबंधक या अन्य अधिकारी जो कि किसी भी प्रबंधन के लिए कार्य कर रहे थे, और जो किसी कंपनी के पंजीकृत/भंग करने वाले कंपनी के सदस्य के रूप में कार्यरत है, यदि कोई हो, तो उन्हें भी कार्य करने से रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। इसके अलावा, अधिनियम की धारा 167 में यह प्रावधान है कि उपरोक्त अयोग्यता पाये जाने पर वैसे निदेशक तुरंत ही कार्यमुक्त कर दिए जायेंगे।
ऐसी कपंनियों के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले करीब 13 लाख कंपनियां पंजीकृत थीं।हालांकि, 2.10 लाख कंपनियों को बंद कर दिए जाने के बाद अभी भी 11 लाख पंजीकृत कंपनियां कार्य कर रही हैं।