नई दिल्ली: कर्नाटक में शनिवार को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। चुनाव प्रचार भले ही गुरुवार को थम गया, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अभी लोगों के पास जा-जाकर लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। यह पहली बार है जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर लड़ा गया है। जहां पीएम मोदी ने कर्नाटक में 21 रैलियों को संबोधित किया तो वहीं राहुल गांधी कई महीने से लगातार कर्नाटक का दौरा कर रहे हैं। यह राहुल गांधी की लीडरशिप में पहला इलेक्शन है। अगर वह इसे जीतते है तो ना सिर्फ उनका बल्कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ाएगा। आइए हम बताते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस की क्या कमजोरियां है और कहां वह मजबूत है।
कांग्रेस के मजबूत पक्ष
1- सीएम प्रत्याशी की छवि के मामले में कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ रही है। सिद्धारमैया एक स्वच्छ छवि के नेता माने जाते हैं तो वहीं येदुरप्पा पर कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
2- सीएम सिद्धारमैया ने अपने पांच साल के कार्यक्रम कई शानदार योजनाओं की राज्य में शुरुआत की। जिनमें अन्न भाग्य, अरोग्य भाग्य जैसी जनहितैषी योजनाएं शामिल हैं।
3- भाजपा सोशल प्लेटफॉर्म का सबसे अच्छा उपयोग करने वाली पार्टी माना जाता है लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस का सोशल मीडिया पर प्रचार अभियान बीजेपी से अधिक प्रभावी रहा। जिसका फायदा उसे चुनाव में जरूर मिलेगा।
सिद्धारमैया का मास्टर स्ट्रोक
4- सीएम सिद्धारमैया अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं। ऐसा माना जताता है कि उनके कार्यकर्ताओं के संबंध काफी अच्छे हैं, जिसका फायदा उन्हें इस चुनाव में प्रचार के दौरान काफी मिला।
5- सिद्धारमैया की मजबूत दावेदारी और स्वच्छ छवि में पार्टी के अंदर और मजबूत बनाती है। वहीं पार्टी के नेताओं में उनकी बात को लोग काफी गंभीरता से लेते हैं। जिसके चलते कर्नाटक में संगठन और सरकार के बीच किसी भी तरह का खास मतभेद नहीं हैं।
6- इस चुनाव में कांग्रेस का सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक सिद्धारमैया द्वारा लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का फैसला रहा है। अगर उनका स्ट्रोक सफल हो जाता है तो कांग्रेस आसानी से राज्य में फिर सत्ता पर काबिज हो जाएगी।
मजबूत नेता बनकर उभरे सिद्धारमैया
7- कांग्रेस ने उम्मीदवारों के चयन का जिम्मा सीएम सिद्धारमैया को सौंपा था। राज्य में कई नेताओं के साथ सलाह के बाद उम्मीदवारों की घोषणा की गई। जिसके चलते पार्टी खास विरोध का सामना नहीं करना पड़ा।
8- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश पार्टी नेतृत्व को अपने फैसले लेने की पूरी आजादी दी थी। जिस कारण से सिद्धारमैया और अधिक मजबूती के साथ जनता के सामने आए।
कांग्रेस की कमजोरियां
1- कांग्रेस के चुनावों में मैसूरू-मंड्या बेल्ट पर ज्यादा ध्यान देना थोड़ा परेशानी में डाल सकता है। सीएम सिद्धारमैया पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने बंगलूरू को नजरअंदाज किया है।
2- वहीं पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर भी सिद्धारमैया पर भाई-भतीजावाद और वंशवाद जैसे आरोप लगे है, जो कि उनकी छवि को थोड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
3- टिकट ना मिलने का कारण पार्टी छोड़कर गए कुछ नेता कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं।
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