कांचीपुरम: कांची पीठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को शंकर मठ परिसर में गुरुवार को महासमाधि दी गई। जयेंद्र सरस्वती बुधवार सुबह सांस लेने में तकलीफ से जूझ रहे थे। उन्हें तमिलनाडु के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी समाधि ‘वृंदावनम’ में उनके पूर्ववर्ती 68वें शंकराचार्य और मशहूर चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की समाधि के समीप बनाई गई है। हिंदू संतों के लिए पालन की जानी वाली परंपरा के मुताबिक 82 वर्षीय शंकराचार्य के पार्थिव शरीर को महासमाधि दी गई। कर्मकांड अनुष्ठान शंकर मठ के 70वें शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने किए। उनके अंतिम संस्कार में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी, केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा समेत दक्षिण की कई बड़ी हस्तियां शामिल हुईं।
इससे पहले श्रद्धालुओं के अंतिम दर्शन के लिए जयेंद्र सरस्वती का पार्थिव शरीर कांची मठ स्थित नंदवनम में रखा गया है। मठ का दावा है कि एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु उनके अंतिम दर्शन को पहुंचे।
विजयेंद्र सरस्वती बने शंकर मठ के प्रमुख
जयेंद्र सरस्वती के निधन के बाद बुधवार को विजयेंद्र सरस्वती शंकर मठ के प्रमुख बन गए। उन्होंने बाद में मीडिया को बताया कि वे जयेंद्र सरस्वती के पदचिन्हों पर चलेंगे। जयेंद्र एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु के रूप में जाने जाते थे जो धर्म और जाति से ऊपर उठकर लोगों की मदद किया करते थे और आशीर्वाद देने में भेदभाव नहीं करते थे। उन्होंने कहा कि जयेंद्र सरस्वती ने सभी वर्गों के बीच समन्वय का भी काम किया। शंकर मठ में अंतिम विधि के दौरान तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, केंद्रीय मंत्री पोन. राधाकृष्णन और कई अन्य लोग भी मौजूद थे।
-आईएएनएस