नई दिल्ली: विधि और न्याय मंत्रालय का न्याय विभाग कानूनी के साक्षरता के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न सरकारी तथा गैर-सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग करना चाहता है और न्याय तक पहुंच के उद्देश्य की प्राप्ति की दिशा में कार्यरत है।
न्याय विभाग को भारत सरकार के कामकाज नियम 1961 के अनुसार गरीबों को कानूनी सहायता देने का कार्य तथा न्याय तक पहुंच के लिए प्रशासनिक और न्यायिक सुधार का कार्य सौंपा गया है। इसके लिए न्याय विभाग भारत के 17 राज्यों – बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर तथा जम्मू कश्मीर के 8 राज्यों में वंचित आबादी के लिए न्याय तक पहुंच की दो परियोजनाएं लागू कर रहा है।
दोनों परियोजनाओं का उद्देश्य वंचित लोगों खासकर महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों, वरिष्ठ नागरिकों और विचाराधीन कैदियों के लिए न्याय तक पहुंच की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना है। इसके लिए न्याय विभाग उन रणनीतियों और कार्यक्रमों को समर्थन देता है जो वंचित लोगों की बाधाओं को दूर करते हैं और न्याय सेवा प्रदाताओं की संस्थागत क्षमता में सुधार करते हैं ताकि गरीबों और वंचित लोगों की कारगर तरीके से सेवा की जा सके।
न्याय तक पहुंच और वंचित समुदाय का कानूनी सशक्तिकरण का एक प्रमुख मानक लोगों में अधिकारों और पात्रता के बारे में जागरूकता फैलाना है। इसके लिए विभाग ने टेलीविजन के माध्यम से अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने का प्रस्ताव किया है। टेलीविजन शिक्षा और जागरूकता के लिए कारगर माध्यम रहा है और इसके माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है।
यह हमारा अनुभव रहा है कि जागरूकता बढ़ाने के काम में लघु फिल्में व्यापक प्रभाव डालती हैं। लघु फिल्में अर्धशिक्षित और अशिक्षित लोगों के लिए उपयोगी होती हैं। न्याय विभाग मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ साझेदारी कर सामाजिक कानूनी विषयों पर लघु फिल्मों/ वृत्त चित्रों का एक पूल बनाना चाहता है, जिसे साझेदारी में प्रसारित किया जाएगा। वीडियो कंटेट विकसित करने वाले मंत्रालय/विभाग या एजेंसी को उचित क्रेडित दी जाएगी।
न्याय विभाग कानूनी साक्षरता वीडियो प्रतियोगिता 2017 का आयोजन कर रहा है। 8 विषयों पर सिविल सोसायटी, व्यक्तियों, शैक्षिक संस्थानों से प्रविष्टियां आमंत्रित की गयी हैं। 8 विषयों में बाल अधिकार, महिला अधिकार, विशेष आवश्यकताओं वाले लोगों के अधिकार, विचाराधीन कैदियों के अधिकार तथा मौलिक कर्तव्यों में समाज के सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों का कल्याण तथा जाति अत्याचार, नस्ली हिंसा से प्रभावित लोगों, किशोर न्याय तथा वन और स्वदेशी समुदायों का कल्याण है। विभाग ने विभिन्न श्रेणियों में लघु फिल्मों/वृत्त चित्रों के लिए पुरस्कारों की घोषणा करके कानूनी सहायता और वंचितों के सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करने वाले सिविल सोसायटी, व्यक्तियों, शैक्षिक संस्थानों के प्रयासों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है।
कानूनी साक्षरता वीडियो प्रतियोगिता 2017 के अंतर्गत सिविल सोसायटी, व्यक्तियों, शैक्षिक संस्थानों द्वारा पुरस्कारों के लिए प्रविष्टियां प्रस्तुत करने का विस्तृत विवरण वेबसाइट http://doj.gov.in/. पर उपलब्ध है। प्रविष्टियां प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 27 मार्च, 2017 है।