लखनऊ: मत्स्य पालन में उद्यमशीलता के साथ ही जलीय कृषि और मछली के फीड उत्पादन एवं विपणन को बढ़ावा देने की आवश्यकता के विषय पर नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज के साथ संयुक्त रूप से कृषि और ग्रामीण विकास केंद्र द्वारा आयोजित मत्स्य उद्यमिता संगोष्ठी का विगत दिवस यहां नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज, तेलीबाग में उद्घाटन करते हुए अध्यक्ष, सेंटर फॉर एग्रीकल्चर एवं रूरल डेवलपमेंट, डॉ. अनीस अंसारी ने कहा कि मौजूदा वक्त में किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है।
उन्होंनें कहा कि प्रदेश में जल क्षेत्र के विशाल इलाकें हैं जो निजी क्षेत्र द्वारा मछली संस्कृति के तालाबों और खेतों के निर्माण के लिए उपयुक्त हैं। इससे पहले मछली पालन परंपरागत मछली पकड़ने वाले समुदाय तक ही सीमित था, जो कि पुराने परंपरागत तरीके से मछली पालन करते थे, लेकिन हाल के वर्षों में, गैर परम्परागत उद्यमियों ने नई प्रौद्योगिकियों के साथ देश भर में मछली पालन शुरू कर दिया है। उन्होंनें कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने में मत्स्य पालन बहुत कारगर हो सकता है और इस प्रकार के कार्यक्रम जिले स्तर पर भी नियमित रूप से आयोजित किये जाने चहिए।
इस मौके पर डॉ. कुलदीप लाल, निदेशक, एनबीएफजीआर, श्री एस के सिंह, संयुक्त निदेशक मत्स्य विभाग, श्री राजेंद्र प्रसाद सिंह, उप महाप्रबंधक मत्स्य विकास निगम, श्री पी के चैबे तथा अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे । इस संगोष्ठी में प्रदेश भर से आये 300 से अधिक मत्स्य पालकों ने भाग लिया।